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21 September 2018

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का राफेल पर खुलासा, कहा- भारत सरकार ने दिया था रिलायंस का नाम

देश में राफेल पर चल रही राजनीतिक जंग में एक नया मोड़ आ गया है। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांक्वा ओलांद ने कहा है कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और डसॉल्ट एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था।

समाचार एजेंसी एएनआई ने फ्रांस की पत्रिका मीडियापार्ट में छपे ओलांद के इंटरव्यू के हवाले से बताया है कि भारत सरकार की तरफ से ही रिलायंस का नाम दिया गया था। इसे चुनने में डसॉल्ट एविएशन की भूमिका नहीं है।

ओलांद ने कहा, 'भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे डसॉल्ट ने बातचीत की। डसॉल्ट ने अनिल अंबानी से संपर्क किया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने मंजूर किया।'

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ओलांद का बयान भारत सरकार के दावे के विपरीत है कि डसॉल्ट और रिलायंस के बीच समझौता दो निजी कंपनियों के बीच एक वाणिज्यिक समझौता था और सरकार का इसके साथ कोई लेना देना नहीं था।

रक्षा मंत्रालय ने दिया ये जवाब

साक्षात्कार के जवाब में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट किया, "रिपोर्ट में पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति श्री ओलांद के बयान का जिक्र है कि भारत सरकार ने राफेल में डसॉल्ट एविएशन के लिए ऑफसेट पार्टनर के तौर पर एक ‘विशेष फर्म’ पर जोर दिया है। यह दोहराया जाता है कि वाणिज्यिक निर्णय में न तो भारत सरकार और न ही फ्रेंच सरकार द्वारा कुछ कहा गया था।"

पीएम मोदी ने भारत को दिया धोखा: राहुल

राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि प्रधान मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और बंद दरवाजों के पीछे राफले सौदे को बदल दिया। फ्रांक्वा ओलांद के लिए धन्यवाद, अब हम जानते हैं कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दिवालिया अनिल अंबानी को अरबों डॉलर का सौदा दिया था। प्रधान मंत्री ने भारत को धोखा दिया है। उन्होंने हमारे सैनिकों के खून का अपमान किया है।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस आर्टिकल को रीट्वीट करते हुए ओलांद से पूछा, “कृपया आप हमें यह भी बताएं कि राफेल की 2012 में 590 करोड़ की कीमत 2015 में 1690 करोड़ कैसे हो गई। मुझे पता है कि यूरो के कारण से यह कैलकुलेशन की दिक्कत नहीं है।”

कांग्रेस और सरकार में मची है तकरार

इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था। विपक्षी दल ने हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू के बयान का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री से इस्तीफा मांगा था। कांग्रेस इस बात को लेकर सरकार को निशाने पर लेती है कि इस समझौते में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को क्यों शामिल नहीं किया गया। वहीं इसपर वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री सीतारमण ने जवाब दिया कि यह समझौता दो निजी कंपनियों के बीच हुआ था। इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं था। वहीं एचएएल के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू ने कहा था कि एचएल लड़ाकू विमान बना सकती है। रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा था कि विमान बनाने वाली सरकारी कंपनी इस विमान को बनाने में तकनीकी रूप से कई मामलों में सक्षम नहीं है।

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TAGS: ex-French President Hollande, Reliance, Rafale, offsets, We did not have a choice
OUTLOOK 21 September, 2018
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