Advertisement
08 June 2016

अंगकोर से आगे हो भारत-कंबोडिया संबंधों की तलाश

प्रोफेसर सहाय का कहना है कि एक खास पर्यटन आकर्षण से ऊपर उठते हुए भारत को आगे बढ़कर दुनिया को बताना चाहिए कि कंबोडिया में भारत का सदियों पुराना सांस्कृतिक प्रभाव गहरा है। वह 'अंगकोर: भारत और दक्षिण की साझा सांस्कृतिक विरासत’ पर व्याख्यान दे रहे थे। प्रो. सच्चिदानंद ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि 9 वीं शताब्दी ईस्वी के बाद से 600 साल तक तक फलने-फूलने वाले खमेर साम्राज्य के दौरान इस क्षेत्र में भारतीय सौंदर्यशास्त्र और भारतीय आख्यान पूरे विस्तार एवं गहराई तक हावी थे हालांकि वैश्विक परिप्रेक्ष्य इस तथ्य से काफी हद तक अनजान है या इसे नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उत्तर पश्चिमी कंबोडिया के साथ पूरा क्षेत्र पूरी संवेदनशीलता के साथ भारतीय प्रभाव से भरा पड़ा है।

आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी की अध्यक्षता में आयोजित एक सत्र में उन्होंने कहा, दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक स्मारक के रूप में प्रसिद्ध अंगकोर वाट मंदिर के लगातार पुनरुद्धार के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाल के योगदान के बावजूद यह तथ्य धूमिल होता जा रहा है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: india-comodia, angkor temple, sachchidanand sahai, indira gandhi national centre for the arts, भारत-कंबोडिया, अंगकोर मंदिर, सच्चिदानंद साही, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र
OUTLOOK 08 June, 2016
Advertisement