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04 January 2019

ऐप उपयोग नहीं करने वाले यूजर्स को भी ट्रैक करता है फेसबुक, रिपोर्ट में दावा

फेसबुक पर पिछले कुछ वक्त से कई बड़े आरोप लग रहे हैं। कुछ महीनों पहले फेसबुक पर करोड़ों यूजर्स के डाटा लीक करने का आरोप लगा था। इन आरोपों के बाद से फेसबुक की ओर से कहा गया कि वह डाटा की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है। वहीं फेसबुक पर फिर से एक गंभीर आरोप लग गया है। एक नई रिसर्च में पता चला है कि फेसबुक उन ऐंड्रॉयड यूजर्स को भी ट्रैक करता है जिन्होंने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, निजता के अधिकार के लिए काम करने वाली कंपनी प्राइवेसी इंटरनेशनल के अध्ययन में यह बात सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक आपने मोबाइल पर फेसबुक ऐप इंस्टॉल नहीं किया है या आपका फेसबुक अकाउंट नहीं है तब भी फेसबुक कंपनी दूसरे ऐप की मदद से आपके डेटा तक पहुंच बना सकती है।

यूके की प्राइवेसी इंटरनैशनल द्वारा की गई रिसर्च में कहा गया है कि फेसबुक अक्सर अपने यूजर्स, नॉन यूजर्स और फेसबुक लॉग आउट कर चुके यूजर्स को ट्रैक करने का काम करता है। साथ ही फेसबुक अपने प्लैटफॉर्म से हटकर भी यूजर्स को ट्रैक करने का काम करता है।

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ऐप ओपन करते ही आपका डाटा फेसबुक के पास

रिसर्च में पता चला कि ऐप डिवेलपर्स फेसबुक सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट किट के जरिए फेसबुक के साथ डेटा शेयर करते हैं। इस रिसर्च के लिए प्राइवेसी इंटरनैशनल ने 34 ऐंड्रॉयड ऐप्स की जांच की। जांच में खुलासा हुआ कि इन ऐप्स में 61 प्रतिशत से ज्यादा ऐप्स यूजर्स द्वारा ऐप ओपन करते ही उनके डेटा को ऑटोमैटिकली फेसबुक को भेज देते हैं।

यह जानकारियां पहुंचती है फेसबुक के पास

आपके मोबाइल फोन में सेव किए नंबर, फोटो-वीडियो, ई-मेल्स और आप किन-किन वेबसाइट्स पर क्लिक करते हैं और कितनी देर तक देखते या देख चुके हैं इसकी जानकारी फेसबुक के पास चली जाती है। इसके अलावा किस तरह की जानकारियों को खोजते हैं, यह डाटा भी फेसबुक के पास पहुंचता है।

ये ऐप्स हैं शामिल

भाषा सिखाने वाल ऐप डुओलिंगो, ट्रैवल एंड रेस्टोरेंट एप, ट्रिप एडवाइजर, जॉब डेटाबेस इनडीड और फ्लाइट सर्च इंजन स्काई स्कैनर उन 23 ऐप्स में शामिल है जिनके जरिए आपका डाटा फेसबुक तक पहुंच रहा है। संस्था ने बाकी की 18 ऐप्स के नामों का खुलासा नहीं किया है। इन एप्स के जरिए फेसबुक को यूजर के व्यवहार की जानकारी मिल जाती है। इन जानकारियों को बेचा भी जाता है। जिसके आधार पर यूजर को किस समय कौन सा विज्ञापन दिखाया जाए इसका फैसला होता है।

डेटा शेयरिंग सामान्य बात

इस मामले पर फेसबुक का कहना है कि डेटा शेयरिंग यूजर और कंपनी दोनों के लिए ही फायदेमंद है। यह एक सामान्य अभ्यास है। इस रिपोर्ट पर गूगल का कहना है कि यूजर एड पर्सनलाइजेशन को डिसेबल कर सकते हैं जिससे कि उनकी जानकारियां गुप्त रहेंगी।

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TAGS: Facebook, tracks, Android users, app, Study, Privacy International
OUTLOOK 04 January, 2019
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