विश्व युद्ध समाप्ति की 100वीं सालगिरह: भारत भी इस युद्ध में था शामिल, जानिए और क्या था खास
आज ही के दिन साल 1918 में प्रथम विश्व युद्ध का अंत हो गया था। चार साल चलने वाला यह युद्ध इतना व्यापक था कि इसमें कई महाद्वीप शामिल थे और इसे संपूर्ण युद्ध की संज्ञा दी जाती है जिसमें समाज का हर तबका प्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करता है और जो भी उत्पादन होता है वह युद्ध की जरूरत को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। ऐसा ही यह युद्ध था। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति' बन कर उभरा। आइए जानते हैं इस युद्ध से जुड़े कुछ रोचक तथ्य...
कौन-कौन देश थे शामिल
मुख्य रूप से इसमें 9 देश शामिल थे, जिसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी और उस्मानिया एक गुट में शामिल थे वहीं मित्र देशों के रूप में पहचाने वाले देशों में ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, इटली और जापान शामिल थे। बाद में अमेरिका भी इसमें शामिल हो गया। नवंबर में हुई रूसी क्रांति के बाद रूस इससे अलग हो गया था।
कितने दिनों तक चला था यह युद्ध
पहला विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक लगभग 52 माह तक चला था। जून 1914 में, ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ़्रांज़ फ़र्डिनेंड की बोस्निया राजधानी की साराजेवो में एक सर्बियाई राष्ट्रवादी द्वारा हत्या कर दी गई जिसके फलस्वरूप ऑस्ट्रिया-हंगरी ने 28 जुलाई को सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी गयी जिसमें रूस ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ आ गया। इसके बाद दोनों पक्षों में देश जुड़ते चले गए और युद्ध महाद्वीपों को अपने में समेटते चला गया।
वर्साय की संधि और बीस वर्षों के लिए युद्ध विराम
इस युद्ध की समाप्ति के बाद दोनों पक्षों के बीच कई संधियां हुईं जिसमें फ्रांस के वर्साय में जर्मनी के साथ हुई संधियां सबसे ज्यादा याद की जाती हैं। वर्साय की सन्धि में जर्मनी पर कड़ी शर्तें लादी गईं। इसका बुरा परिणाम दूसरा विश्व युद्ध के रूप में प्रकट हुआ और राष्ट्रसंघ की स्थापना के प्रमुख उद्देश्य की पूर्ति न हो सकी।
उपनिवेश के तौर पर भारत भी हुआ था शामिल
यूं तो यह युद्ध मुख्य तौर पर यूरोपीय भूमि पर लड़ा गया था लेकिन जैसा बताया है कि इसमें अन्य महाद्वीपों के देश भी शामिल थे तो इस कारण ब्रिटेन का उपनिवेश होने कारण भारत भी अप्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल हो गया था। युद्ध के समय में भारत में उद्योग-धंधों का विकास भी हुआ था। उपनिवेश होने के कारण भारतीय सैनिक भी मित्र देशों की ओर से इस युद्ध में लड़े थे।
युद्ध समाप्ति की 100वीं वर्षगांठ पर मिल रहे हैं नेता
प्रथम विश्व युद्ध के अंत के 100 साल पूरे होने के अवसर पर रविवार को दुनिया भर के कई नेता यहां वैश्विक स्मृति समारोह में शिरकत करेंगे। दुनिया के बड़े नेताओं का यह जमावड़ा बढ़ते राष्ट्रवाद और कूटनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में हो रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन सहित दुनिया के करीब 70 नेता 1918 में हुए युद्धविराम समझौते की शताब्दी पर फ्रांस की राजधानी में एकत्र हो रहे हैं।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय लंदन में इसी संबंध में आयोजित एक अन्य समारोह में हिस्सा लेंगी। वहीं न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया अपने स्तर पर इस संबंध में आयोजन कर रहे हैं।
पेरिस में यह आयोजन ‘आर्क दे ट्रायम्फ’ के नीचे बने अनाम सैनिकों के कब्रों के पास होगा। इसमें आधुनिक काल में राष्ट्रवाद के खतरों के प्रति चेतावनियों के संबंध में बात होने की संभावना है।