कोविड-19 को लेकर डब्ल्यूएचओ की स्वतंत्र जांच करने वाले 62 देशों में भारत भी शामिल
कोरोना वायरस के मौजूदा संकट के लिए अनेक देश चीन के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को भी जिम्मेदार मानते हैं। इस खतरनाक वायरस के बारे में दुनिया को सचेत करने में विफलता के लिए डब्ल्यूएचओ पर सवाल उठ रहे हैं। कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ के प्रयासों की स्वतंत्र जाचं करने की मांग करने वालों में भारत भी शामिल हो गया है। कुल 62 देश इसकी मांग कर चुके हैं।
विश्व स्वास्थ्य सभा में जांच का प्रस्ताव
विश्व स्वास्थ्य आमसभा की 73वीं बैठक आज से जेनेवा में शुरू हुई। डब्ल्यूएचओ की स्वतंत्र जांच के लिए इस बैठक में प्रस्तावित ड्राफ्ट रिजोल्यूशन को भारत सहित 62 देशों ने समर्थन दिया है। स्वतंत्र जांच के लिए संयुक्त प्रयास ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने शुरू किए है। ड्राफ्ट में कोरोना संकट की निष्पपक्ष, स्वतंत्र और विस्तृत जांच की मांग की गई है। इसमें डब्ल्यूएचओ के प्रयासों और इनमें देरी के कारण कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैलने के आरोपों की भी जांच पर जोर दिया गया है।
इन देशों ने दिया है समर्थन
यूरोपीय देश और ऑस्ट्रेलिया कोविड से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ के समन्वित प्रयासों की जांच के लिए समर्थन जुटा रहा है। यूरोपीय संघ के समर्थित ड्राफ्ट को जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, ब्राजील और कनाडा ने भी समर्थन दिया है।
जांच समर्थकों में ऑस्ट्रेलिया सबसे आगे
पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग उठाई थी। विदेश मंत्री मेरिस पायने ने कोरोना संक्रमण की डब्ल्यूएचओ के द्वारा जांच कराने की बात पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि हमें अपने नागरिकों को अगली महामारी से सुरक्षित रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्युनिटी को तैयार करना होगा। उन्होंने इस पर भी आश्चर्य जताया था कि प्रस्ताव में चीन या वुहान का कहीं नाम नहीं आया, जहां से यह जानलेवा वायरस पूरी दुनिया में फैल गया।