भारत एनएसजी में शामिल होने का हकदार, अमेरिका करेगा प्रयास: अमेरिकी राजदूत
भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु सहयोग का उल्लेख करते हुए वर्मा ने कहा कि दोनों पक्ष छह वेस्टिंगहाउस रिएक्टरों के निर्माण के लिए 15 साल की परियोजना पर आगे बढ़ गए हैं। इसके जरिये करीब छह करोड़ लोगों के लिए बिजली का उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने कहा, यह सौदा पिछले 10 वर्षों से लंबित है और हम इस बात को देखकर खुश हैं कि यह फलीभूत होने के करीब है। अटलांटिक परिषद, अमेरिका-भारत व्यापार पहल कार्यशाला को संबोधित करते हुए वर्मा ने वैश्विक संस्था, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्यता के साथ भारत की भूमिका के लिए अमेरिका के जबर्दस्त समर्थन की बात करते हुए कहा, हमने एपेक में भारत की दिलचस्पी का लगातार स्वागत किया है और हमने बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत की सदस्यता का जोरदार समर्थन किया है।
शीर्ष अमेरिकी राजदूत ने कहा, राष्ट्रपति ओबामा ने छह साल पहले एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए अपने समर्थन का इजहार किया। तब से हमने अपने भारतीय समकक्षों और एनएसजी सदस्यों के साथ करीबी से काम किया है ताकि सदस्यता के लिए भारत के मामले को आगे बढ़ाने में मदद कर सकें। भारत का जबर्दस्त रिकॉर्ड रहा है और वह एनएसजी में शामिल किए जाने का हकदार है। वर्मा ने कहा, इसलिए व्हाइट हाउस और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों समेत प्रशासन ने हाल में सियोल में हुए एनएसजी के पूर्ण सत्र में भारत की सदस्यता सुनिश्चित करने के ठोस प्रयास किए। हम निराश हैं कि हालिया सत्र में भारत को शामिल नहीं किया गया, लेकिन हम भारत और एनएसजी के सभी सदस्यों के साथ आने वाले महीनों में भारत के प्रवेश के लिए रचनात्मक तरीके से काम करेंगे।
भारत को चीन और कुछ अन्य देशों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसी तथ्य का इस्तेमाल अमेरिका के जबर्दस्त समर्थन के बावजूद सियोल में हुई बैठक में भारत की सदस्यता के प्रयासों को विफल करने के लिए किया गया। वर्मा ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा भारत को बड़े रक्षा सहयोगी का दर्जा देना, आने वाले वर्षों में दोनों देशों की सेनाओं, उद्योगों और रक्षा मंत्रालयों को करीब लाएगा।