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21 September 2015

सुरक्षा परिषद सीट के लिए जापान से गठजोड़ भारत की गलतीः चीन

गूगल

चीन में सरकार संचालित शंघाई इंस्टीट्यूट्स फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के रिसर्च फेलो लियू जोंगई ने ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा है, इस साल संयुक्त राष्ट्र की 70वीं सालगिरह है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की मांग जोर पकड रही है। लेख में कहा गया है कि ब्राजील, भारत, जर्मनी और जापान से मिलकर बना जी-4 देशों का संगठन बदलाव की सबसे ज्यादा मांग कर रहा है।

लेख के अनुसार, भारतीय राजनेता, शिक्षाविद् और मीडिया का मानना है कि स्थायी सदस्यता पाने में चीन सबसे बड़ी बाधा है। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर बीजिंग ने कभी खुलकर नई दिल्ली की उम्मीदवारी का समर्थन नही किया है। लेख में कहा गया है, वास्तव में, भारत की सबसे बड़ी गलती जापान, जर्मनी और ब्राजील के साथ मिलकर गठबंधन बनाना है। इन तीनों देशों के इस क्षेत्र में विरोधी मौजूद हैं। चीन और दक्षिण कोरिया जापान की उम्मीदवारी का निश्चित तौर पर कड़ा विरोध करेंगे।

इसमें आगे कहा गया है कि चीन लंबे समय से यह कहता रहा है कि भारत का जापान के साथ हाथ मिलाना एक गलती है जिसकी दावेदारी का चीन ऐतिहासिक कारणों से विरोध करता है। चीन ने कभी भी इससे आगे जाकर कुछ नहीं कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र में बड़ी भूमिका की भारत की आकांक्षाओं को समझता है। लेख में चीन के घनिष्ठ सहयोगी पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की उम्मीदवारी का विरोध किए जाने का जिक्र नहीं किया गया है।

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भारत को स्‍थाई सदस्य बनाने पर वचनबद्धः अमेरिका

 

चीन के उलट अमेरिका ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार की प्रक्रिया के मुद्दे पर भारत के साथ उसका मतभेद है, लेकिन वह सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने के प्रति वचनबद्ध है। दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी विदेश उपमंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने पीटीआई-भाषा को बताया, (अमेरिकी) राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का अनुमोदन करने वाले बयान एक बार नहीं बल्कि अनेक अवसरों पर दिए हैं। और कोई भी भारत को शामिल करने पर समर्थन करने की वचनबद्धता से हट नहीं रहा है। निशा ने यह बात इन प्रश्नों के जवाब में कही कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजनयिकों के हाल के बयानों पर भारत में अनेक लोगों का यह विचार बन रहा है कि ओबामा प्रशासन किसी विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के रूप में भारत के अनुमोदन पर पुनर्विचार कर रहा है।

 

उन्होंने कहा, सुधार के बाद सुरक्षा परिषद कैसी होगी, उसकी प्रकृति बहुत जटिल है। मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करने जा रही हूं। यह ऐसा क्षेत्र नहीं है जिससे मैं जुड़ी हूं। निशा ने कहा, लेकिन मैं यह जानती हूं कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां बहुत ही गहन विमर्श और चर्चा हो रही है और वे बेहद जटिल हैं। सो, जिस प्रक्रिया से हम यह पाएंगे वह जटिल होने जा रही है।

 

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TAGS: भारत, चीन, जापान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, स्‍थाई सदस्य, ग्लोबल टाइम्स, India, China, Japan, the United Nations Security Council, permanent members, the Global times
OUTLOOK 21 September, 2015
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