यूएन में पाक ने उठाया कश्मीर मुद्दा, भारत का करारा जवाब
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन का मुद्दा उठाए जाने का जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘विश्व जानता है कि गोलीबारी का प्रमुख कारण आतंकवादियों को सीमा पार कराने के लिए ढाल प्रदान करना है।’ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें सत्र में बुधवार को आम चर्चा के दौरान वह जवाब दे रहे थे। सिंह ने नवाज शरीफ के आरोपों का करारा जवाब देते हुए कहा कि यह अफसोसनाक है कि पाकिस्तान ने सच्चाई को तोड़ने-मरोड़ने और हमारे क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों की गलत तस्वीर पेश करने के लिए एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय मंच का दुरूपयोग किया है। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने महासभा में अपने संबोधन के दौरान कहा था कि उनका देश पाकिस्तान आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित होने वाला देश है।
सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वास्तव में पाकिस्तान आतंकवाद को पालने पोसने की अपनी ही नीतियों का शिकार हुआ है। मामले का केंद्रबिन्दु एक ऐसा देश है जो आतंकवाद का इस्तेमाल शासन के वैध हथियार के रूप में करता है। विश्व इसे चिंता के साथ देख रहा है क्योंकि इसके परिणाम इसके तात्कालिक पड़ोसी से आगे तक फैल गए हैं। साथ ही सिंह ने कहा, यदि इस शैतान (आतंकवाद) को पैदा करने वाले को खुद इस बात का अहसास हो जाए कि उसने अपने लिए क्या खतरा उत्पन्न कर लिया है तो हम सब मदद करने के लिए तैयार हैं। सिंह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अपनी हरकतों पर परदा डालने का प्रयास कर रहा है।
शरीफ की इस टिप्पणी पर कि जम्मू कश्मीर विदेशी आधिपत्य में है। सिंह ने कहा, ‘सवालों के घेरे में खुद कब्जा करने वाला पाकिस्तान है।’ सिंह ने कहा, इस गोलीबारी की शुरूआत किस पक्ष की तरफ से हुई यह पता लगाने के लिए कोई बहुत बड़ी कल्पना करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए यह असामान्य नहीं है कि जब वे गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं तो वे जिम्मेदारी दूसरों पर डालते हैं। अपने संबोधन में सिंह ने प्रस्तावित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर भारत की आपत्तियों को भी रेखांकित किया और कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है।
शरीफ की टिप्पणी कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अनसुलझा है और वार्ता आगे नहीं बढ़ी है, पर भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तान को आईऩा दिखाते हुए कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान ने अपने वादों को निभाया नहीं है, फिर चाहे वह वर्ष 1972 का शिमला समझौता हो या फिर आतंकवाद को समाप्त करने के लिए वर्ष 2004 में हुई संयुक्त घोषणा। और यही हश्र उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बनी सहमति का रहा है। सिंह ने अपने जवाब में इस बात पर जोर दिया कि भारत ही है, जिसने हर मौके पर दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है। भारत आज भी आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल में लंबित मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।