“शिक्षक थे इसलिए आईएस ने यातना नहीं सम्मान दिया”
बेंगलूरू, हैदराबाद। लीबिया में इस्लामिक स्टेट यानी आईएस आतंकवादी संगठन ने कर्नाटक के जिन दो भारतीय शिक्षकों को अगवा कर लिया था और बाद में छोड़ दिया था बुधवार को वे अपने घर पहुंच गये और परिवार से मिले। शिक्षकों ने अपनी आपबीती सुनायी जो चौंकाने वाली थी। उन्होंने बताया कि “अपहर्ताओं ने उन्हें इज्जत के साथ रखा और उन्हें बंधक बनाकर प्रताड़ित नहीं किया गया ”
“शिक्षक होने के नाते आईएस ने दिया सम्मान”
बेंगलूरू अंतरराष्टीय हवाईअड्डे पर उतरने के बाद विजय कुमार ने संवाददाताओं से कहा, उन्होंने हमसे पूछा कि हम मुस्लिम हैं या गैर मुस्लिम। जब उन्हें पता चला कि हम गैर-मुस्लिम हैं तो उन्होंने हमें पकड़ लिया। उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। उन्होंने मुझे या हममें से किसी को छुआ तक नहीं। कुमार ने कहा, उन्होंने हमारी इज्जत की। उन्होंने हमसे कहा कि अगर आप विश्वविद्यालय के शिक्षक हो तो आपने हमारे छात्रों को पढ़ाया होगा, इसलिए हम आपको छोड़ रहे हैं। आप भारत जाकर इस्लाम अपना सकते हैं। कुमार ने भारत सरकार, जनता और मीडिया का आभार जताते हुए कहा, दुखद बात यह है कि हमारे दो दोस्त अब भी वहां हैं। अगर वे भी आ जाएंगे तो मुझे खुशी होगी।
कर्नाटक के रायचूर जिले के निवासी लक्ष्मीकांत हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि किसी ने हमें यातना नहीं दी, उन्होंने हमें नुकसान नहीं पहुंचाया, उन्होंने हमें सम्मान दिया।
दो शिक्षक अब भी आईएस के बंधक
लीबिया के सिरते विश्वविद्यालय में कार्यरत चार भारतीय शिक्षकों को 29 जुलाई को अगवा कर लिया गया था। त्रिपोली से भारत लौटते समय आईएसआईएस ने लीबिया में उनका अपहरण किया। उनमें से दो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के हैं। भारत सरकार ने 31 जुलाई को कहा था कि दो शिक्षक लक्ष्मीकांत और विजय कुमार को रिहा करा लिया है। लक्ष्मीकांत ने कहा, हम चारों लोग साथ थे। उन्होंने मुझे और विजय कुमार को रिहा कर दिया। मुझे बताया गया है कि गोपीकृष्ण और बलराम सुरक्षित हैं। मैं अनुरोध कर रहा हूं कि उन्हें भी रिहा कर दिया जाए। लक्ष्मीकांत और विजय कुमार को हवाईअड्डे पर उनके परिवार वाले लेने पहुंचे।