आठ दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे इस्राइल के राष्ट्रपति रिवलिन
रियुवेन (रुवि) रिवलिन आठ दिनों की महत्वपूर्ण भारत यात्रा पर आज दिल्ली पहुंचे। पिछले करीब 20 साल में किसी इस्राइली राष्टपति की यह पहली भारत यात्रा है। रिवलीन के साथ व्यवसायियों का एक बड़ा शिष्टमंडल भी आया है। इस्राइली राष्ट्रपति कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे। भारत आने के बाद रिवलिन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में विभिन्न मुद्दों पर बोलते हुए स्वीकार किया कि फलस्तीन मुद्दे पर भारत के साथ मतभेद हैं। किन्तु उन्होंने भारत इस्राइल के बढ़ते संबंधों के बारे में गर्मजोशी से बोला क्योंकि दोनों ही देश अगले वर्ष अपने राजनयिक संबंध कायम होने के 25 वर्ष मनाने की तैयारी कर रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताते हुए रिवलिन ने कहा कि उनके देश को लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा में भारत के साथ खड़ा होने पर गर्व है। उन्होंने कहा, आतंकवाद आतंकवाद होता है, भले ही इसे कोई भी अंजाम दे या कोई भी इसका पीड़ित बने। इस भयानक बुराई के खिलाफ अपने वचनों से इसकी भर्त्सना करना और अपने कर्मों से इसके विरूद्ध लड़ना, हम सबका दायित्व है। भारत में रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले सबसे बड़े देशों में इस्राइल शामिल है तथा आतंकवाद से निबटने में वह व्यापक स्तर पर भारत का सहयोग कर रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस्राइल में यह बात दबे-छिपे स्वरों में कही जाती है कि भारत अरब के साथ अपने करीबी संबंधों एवं घरेलू राजनीतिक सरोकारों के कारण उसके साथ अपने संबंधों की अधिक चर्चा करना पसंद नहीं करता। इस पर रिवलिन ने कहा, इस्राइल को भारत के साथ उसकी मित्रता पर गर्व है और मेरा मानना है कि भारत को भी इस्राइल के साथ उसकी मित्रता पर गर्व है। रिवलिन ने कहा कि इसके अलावा यह केवल नेताओं एवं सरकारों की मित्रता नहीं है। यह समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच मित्रता है। यह ऐसी मित्रता नहीं है कि जिसे हमें छिपाना चाहिए। यह ऐसी मित्रता है जो हमें सतत रूप से दिखाई पड़ती है। यह किसी इमारत के उस प्रवेश स्थल की तरह है जिसमें इस्राइलियों, भारतीयों एवं सभी लोगों के लिए बेहतर विश्व हो। स्वतंत्र फलस्तीन और पूर्वी येरूशल में उसकी राजधानी को भारत का समर्थन जारी रहने के बारे में पूछे गए प्रश्न पर इस्राइली राष्ट्रपति ने कहा, यह जरूरी नहीं है कि मित्र हर बात में आंख से आंख मिलाकर देखें। मित्रों के रूप में हम सम्मान एवं समझ के साथ असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं। उन्होंने कहा, इस्राइल समझता है और भारत की इस इच्छा को साझा करता है कि हमारे एवं फलस्तीन के बीच न्यायोचित एवं स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस्राइल एवं फलस्तीन को प्रत्यक्ष बातचीत करने के लिए काम करना चाहिए।
भारत एवं इस्राइल के बीच बहुत से लम्बित मुक्त व्यापार समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से भारी प्रभाव पड़ेगा और भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष बढ़ती हुई भागीदारी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं, इसमें जरूरत इस बात की है कि आकर्षक माहौल में साथ मिलकर काम करने के लिए व्यापार क्षेत्र की मदद की जाए। रिवलिन ने इस बात पर बल दिया कि उनकी यात्रा राजनयिक संबंधों के पिछले 25 वर्षों में जो कुछ भी हासिल किया गया उसके बारे में इस्राइल की प्रतिबद्धता को फिर से पुष्ट करने का मौका है बल्कि उन तरीकों पर गौर करने का भी एक अवसर है जिससे दोनों देश मिलकर नूतन पहल और कल्पनाओं की सीमाओं को ओर अधिक बढ़ा सकें। उन्होंने कहा, महत्वपूर्ण है कि इस यात्रा में सहयोग के तीन क्षेत्र यथा कृषि, जल एवं शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह तीनों क्षेत्र विशेष तौर पर उजागर करते हैं कि हम दो महान देश किस बात में संलग्न हैं, भविष्य के लिए बीज बो रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत-इस्राइल के संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं तथा इनका और भी विकास होने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि इस्राइल ने विशेषतौर पर प्रधानमंत्री मोदी की पहल मेक इन इंडिया की सराहना की है। मोदी के साथ मुलाकात में रिवलिन उन्हें अपने देश आने का न्यौता देंगे।