जानिए, यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को क्या नुकसान होगा
भारत का सबसे ज्यादा कारोबार यूरोप के साथ है। ब्रिटेन में 800 भारतीय कंपनियां हैं, जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। 2015 में इन्होंने ब्रिटेन में 2 लाख 47 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया। भारतीय आईटी सेक्टर की 6 से 18 फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है। ब्रिटेन के रास्ते भारतीय कंपनियों की यूरोप के इन 28 देशों के 50 करोड़ लोगों तक पहुंचती है। अगर ब्रिटेन ईयू से बाहर निकला तो बाजार की राह मुश्किल होगी। ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे। कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा।
ब्रिटेन में बने उत्पाद पर भारतीय कंपनियों को यूरोपीय देशों में टैक्स देना होगा। टाटा समूह की जगुआर लैंड रोवर के मुताबिक अलग होने से उसे 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ब्रिटेन के बाहर होने के बाद वीजा नियम सख्त होंगे, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए स्टाफ की दिक्कत हो सकती है। वीजा लेकर पढ़ने जाने वाले छात्रों को भी मुश्किल होगी।
करेंसी पर भी असर पड़ेगा। ब्रिटेन की करेंसी पाउंड और यूरोप की करेंसी यूरो के झगड़े में दुनिया भर में डॉलर की मांग बढ़ेगी। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत घटेगी। ऐसा हुआ तो भारत को कच्चे तेल के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे यानि पेट्रोल और डीजल महंगा होगा। ब्रिटेन उन देशों में है जहां से भारत की कमाई ज्यादा होती है और वह भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। भारत ने पूरे यूरोपियन यूनियन में जितना निवेश किया है उससे ज्यादा सिर्फ ब्रिटेन में पैसा लगाया है। हालांकि कुछ जानकार मानते हैं कि ब्रिटेन के अलग होने पर भारत में निवेश में आसानी होगी क्योंकि यूरोपियन यूनियन को जाने वाला पैसा भारत जैसे एशियाई देशों में आ सकता है।
यूरोपियन यूनियन 28 देशों का समूह है जहां फ्री ट्रेड है यानी यूनियन में शामिल देशों के लोग इन 28 में से किसी भी देश में रह सकते हैं या बिजनेस कर सकते हैं लेकिन अब ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने की मांग उठी है। यूरोपियन यूनियन से अलग होने की मंशा रखे ब्रिटिशवासियों का तर्क है कि इससे दूसरे देशों से आने वालों पर अंकुश लगेगा। यूरोपियन यूनियन से अलग होने पर 9 लाख 50 हजार ब्रिटिश लोगों की नौकरियां जा सकती हैं, वहीं अलग होने का समर्थन करने वालों का तर्क है कि सालाना मेंबरशिप फीस के 99 हजार करोड़ रुपये ब्रिटेन के बचेंगे।