मंगल की धरती पर उतरा नासा का रोबोटिक ‘इनसाइट लेंडर’, जानें इसकी खासियत
नासा का इनसाइट लैंडर यान मंगल ग्रह पर लैंड हो गया है। यह यान सोमवार-मंगलवार की रात भारतीय समयानुसार 1 बजकर 24 मिनट पर मंगल ग्रह की सतह पर पहुंचा। ‘इनसाइट’ मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना पृथ्वी से कितनी अलग है, इसका पता लगाएगा। यान के मंगल की धरती पर उतरते ही दो वर्षीय मिशन शुरू हो गया है।
यह ग्रह की सतह पर उतरने के दौरान 19,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से छह मिनट के भीतर शून्य की रफ्तार पर आ गया। इसके बाद यह पैराशूट से बाहर आया और अपने तीन पैरों पर लैंड किया। ‘इनसाइट’ की मंगल पर लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया सात मिनट तक चली।
Have you ever seen a spacecraft spread its solar wings? @NASAInSight will need to perform the critical task of deploying its solar arrays to power the mission. We expect to get data confirmation this evening. About the #MarsLanding milestones: https://t.co/vnmkKY2MUs pic.twitter.com/3Wx1mvRFvD
— NASA (@NASA) November 27, 2018
झूम उठे वैज्ञानिक
सात मिनट तक पूरी दुनिया के वैज्ञानिक दम साधे इस पूरी प्रक्रिया को लाइव देखते रहे। जैसे ही ‘इनसाइट’ ने मंगल की सतह को छुआ, सभी वैज्ञानिक खुशी से झूमने लगे। नासा के प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने इनसाइट के टचडाउन का ऐलान करते ही सभी को बधाई दी।
Our @NASAInSight spacecraft stuck the #MarsLanding!
Its new home is Elysium Planitia, a still, flat region where it’s set to study seismic waves and heat deep below the surface of the Red Planet for a planned two-year mission. Learn more: https://t.co/fIPATUugFo pic.twitter.com/j0hXTjhV6I
— NASA (@NASA) November 26, 2018
नासा के मार्स इनसाइट लैंडर ने भेजी पहली तस्वीर
70 अरब की लागत वाला ‘इनसाइट लेंडर’ खोलेगा कई रहस्य
नासा ने इस यान को मंगल ग्रह के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए और इस ग्रह से जुड़े नए तथ्यों का पता लगाने के लिए तैयार किया है। नासा का यह यान सिस्मोमीटर की मदद से मंगल की आंतरिक परिस्थितियों का अध्ययन करेगा। इनसाइट मंगल पर भूकंपीय हलचल यानि सिस्मिक वेव के बारे में पता लगाएगा।
नासा के इस यान में 1 बिलियन डॉलर यानी 70 अरब रुपए का खर्च आया है। सौर ऊर्जा और बैटरी से ऊर्जा पाने वाले लैंडर को 26 महीने तक संचालित होने के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि नासा को उम्मीद है कि यह इससे अधिक समय तक चलेगा।
इससे पहले भी हो चुका है मंगल मिशन
इसी साल 5 मई को नासा ने कैलिफोर्निया के वंडेनबर्ग एयरफोर्स स्टेशन से एटलस वी रॉकेट के जरिए लांच किया था। इससे पहले 2012 में मंगल पर पहला यान क्यूरोसिटी भेजा गया था. उस मिशन में मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में पता किया गया। वहीं इस बार ‘इनसाइट’ मंगल की आंतरिक संरचना के बारे में पता करेगा।