गुटनिरपेक्ष सम्मेलन से लौट रहे अंसारी ने कहा, आतंकवाद को कोई सहन नहीं कर सकता
उपराष्ट्रपति अंसारी ने 17वें गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन (नैम) में भाग लेने के बाद वेनेजुएला से लौटते समय पत्रकारों से बातचीत में कहा, देश में हर किसी के साथ मेरा भी मानना है कि उरी में हुआ हमला पूरी तरह अस्वीकार्य, निंदनीय है और इस तरह की युक्तियों का नतीजा अंत में अत्यंत दुखद निकलेगा। यह कहे जाने पर कि इन हमलों से भारत के संयम के परीक्षा ली जा रही है, उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता कि संयम शब्द का क्या मतलब है। यदि हम पर हमला किया जाता है तो हम अपने हिसाब से जवाब देंगे और किस तरह जवाब दिया जाना है, वह देश के अधिकारियों पर निर्भर करता है, लेकिन वहां संयम या सहनशीलता का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा, कोई भी आतंकवाद का पीड़ित हो सकता है और मुद्दा यह है कि निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। इससे पहले, एक बयान में उरी हमले की निंदा करते हुए उन्होंने कहा था कि इस तरह के हमले एक खास देश की ओर से सीमा पार से आतंकवाद का इस्तेमाल किए जाने का परिणाम हैं और भारत इस तरह के भड़काऊ कृत्यों से सही तरह से निपटेगा। बता दें कि रविवार की सुबह भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने उत्तरी कश्मीर के उरी शहर में भारतीय सेना के एक बटालियन मुख्यालय पर हमला कर दिया था जिसमें 18 जवान शहीद हो गए और 19 अन्य घायल हुए। मुठभेड़ में हमला करने वाले चारों आतंकवादी ढेर कर दिए गए।
संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत की रणनीति के बारे में अंसारी ने कहा, यह हमारे आम रुख का हिस्सा रहा है कि आतंकवाद के सवाल को सभी मंचों पर उठाया जाए। उन्होंने कहा, मैं इस बारे में अवगत नहीं हूं कि विदेश मंत्री क्या कहने जा रही हैं लेकिन मुझे यकीन है कि इस विषय को वह अपने बयान में महासभा के समक्ष प्रमुखता से उठाएंगी। अंसारी ने कहा, नि:संदेह वहां दूसरी तरफ से किसी तरह का द्वेषपूर्ण हमला होगा जो महासभा की चर्चा में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 26 सितंबर को आम चर्चा को संबोधित करेंगी। आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत द्वारा दर्ज कराए गए मजबूत विरोध पर अंसारी ने कहा, एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ कहा जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन की परंपरा के विपरीत और विशेष तौर पर हमारे लिए आपत्तिजनक था। गुटनिरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन के बारे में अंसारी ने कहा कि आंदोलन के संस्थापकों के रूप में भारत के लिए यह कुछ संतोष का मामला है कि विश्व के ज्यादातर देशों ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आज भी प्रासंगिक पाया है।