पाकिस्तान को उसके ही राजनयिक की नसीहत, आतंकियों पर कार्रवाई करो
हक्कानी ने यह भी कहा कि अगर जिहादी समूहों को खतरों के रूप में नहीं देखा जाता और पाकिस्तान द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तो पठानकोट वायु सैन्य अड्डे जैसे और हमले होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि जिहादी पिछले 30 साल में पाकिस्तान के लिए सफलता नहीं लाए हैं और वे आने वाले वर्षों में उस देश का और अधिक नुकसान ही करेंगे।
अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हक्कानी ने कहा कि भारत से छोटा देश होने के कारण पाकिस्तान पारंपरिक सैन्य आक्रमण में उससे जीत नहीं सकता लेकिन वह भारत के शहरों में जनजीवन को बाधित करके और डर पैदा करके भारत के हाथ बांध देना चाहता है। गैरपारंपरिक तरीकों से भी सैन्य स्पर्धा की उसकी गहरी इच्छा आतंकवाद के बने रहने की एक वजह है। पीटीआई भाषा को दिए साक्षात्कार में हक्कानी ने अपनी हालिया किताब ‘इंडिया वर्सेज पाकिस्तान: वाए कान्ट वी जस्ट बी फ्रेंड्स’ और कश्मीर, पाकिस्तानी सेना और संबंधों के सामान्यीकरण से जुड़े मुद्दों पर बात की।
उन्होंने जगरनॉट द्वारा प्रकाशित इस किताब के लेखन का फैसला किया ताकि युवा पाकिस्तानियों और युवा भारतीयों तक पहुंचा जा सके क्योंकि नफरत कोई अच्छी विदेश नीति नहीं है। उन्होंने कहा कि पठानकोट हमला मामले में संयुक्त जांच दल का गठन भारत को संबंधों में सुधार करने के अपने इरादे से वाकिफ करवाने की प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली असैन्य सरकार की इच्छा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, यह इस बात की भी जरूरत दिखाता है कि सेना को हमले की जांच की इच्छा प्रदर्शित करके अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करना चाहिए। हालांकि पूर्व में हुई ऐसी जांचों की तरह, जब तक सभी जिहादी समूहों को खतरे के रूप में नहीं देखा जाता और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक ऐसे और हमले, और अधिक जांचें होती रहेंगी।
हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण एवं मध्य एशिया के निदेशक हक्कानी ने कहा, मैंने मुंबई हमलों के बाद से बार-बार कहा है कि पाकिस्तान को भारत में हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को महज घर में नजरबंद कर देने या अन्य को खुला घूमने और भाषण देने की अनुमति दिए रखने के बजाय उनके खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए। अपनी किताब में हक्कानी कहते हैं कि पाकिस्तान भारत को घायल करने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल सस्ते उपाय के रूप में करता है और पाकिस्तानी आतंकी समूहों के सरगनाओं को पाकिस्तानी अदालतों द्वारा लगभग हमेशा ही छोड़ दिया जाता है।