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24 January 2020

अगले महीने FATF की ग्रे-लिस्ट से बाहर निकल सकता है पाकिस्तान, भारत के लिए टेंशन

File Photo

आतंकियों के पनाहगार देश पाकिस्तान से जुड़ी एक बड़ी खबर है। एक बार फिर पाकिस्तान के दोस्त चीन ने उसकी मदद की है। इस मदद के चलते पाक जल्द ही ग्रे लिस्ट से बाहर हो सकता है। एफएटीएफ ने आतंकी समूहों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान के प्रयासों पर संतुष्टी जताई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी सप्ताह एफएटीएफ की अहम बैठक में चीन ने पाक के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया था। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने में चीन और कुछ पश्चिमी देशों ने समर्थन दिया है।

हाल में चीन की राजधानी बीजिंग में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान ने अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की और एफएटीएफ के वर्तमान चेयरमैन चीन, तुर्की, मलेशिया और कुछ पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल कर लिया। इस घटनाक्रम से वाकिफ एक अधिकारी ने बताया, 'एफएटीएफ की अगली प्लेनरी बैठक फरवरी में पेरिस में होगी और पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट से निकलने और व्हाइट लिस्ट में जाने के लिए 39 में से सिर्फ 12 मतों की जरूरत है। इस बात की काफी संभावना है कि इस्लामाबाद को ग्रे-लिस्ट से निकलने के लिए पर्याप्त समर्थन मिल जाएगा।'

अधिकारी के मुताबिक अगर पाकिस्तान ग्रे-लिस्ट से बाहर आ गया तो यह भारत के लिए चिंता का विषय होगा। इसके बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय यूनियन से वित्तीय सहायता पाने में आसानी होगी।

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चीन ने की पाक के प्रयासों की प्रशंसा

चीन ने आतंकी फंडिंग पर शिकंजा कसने के पाकिस्तान के कथित प्रयासों की प्रशंसा की और इसे ‘बेहद प्रगतिवान’ करार देते हुए कहा कि इसके लिए विश्व समुदाय को पाकिस्तान का हौसला बढ़ाना चाहिए। बता दें कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग व मनी लान्ड्रिंग के खिलाफ उठाए गए कदमों का परीक्षण करने के लिए एफएटीएफ की बैठक इसी सप्ताह बीजिंग में होनी है।

भारत को होगी मुश्किल

पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर भारत की मुश्किलें बढ़ेगी। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को छूट मिल जाएगी। दोनों ही संगठनों पर भारत में हुए कई हमलों के जिम्मेदार है। एफएटीएफ के फैसले से आतंकी समूहों को राहत मिलेगी। इससे जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के बढ़ने की उम्मीद है।

ब्लैक लिस्ट हो सकता है पड़ोसी देश

बता दें कि एफएटीएफ ने लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद व अन्य आतंकी संगठनों को मिलने वाले धन की आवाजाही पर अंकुश नहीं लगाने के चलते पिछले साल अक्तूबर में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया था। यदि पाकिस्तान की तरफ से इसके खिलाफ उठाए गए कदमों से एफएटीएफ बीजिंग में होने वाली इस बैठक के दौरान संतुष्ट नहीं होता है तो उसे ‘ब्लैक लिस्ट’ किया जा सकता है, जिसके चलते पड़ोसी देश पर ईरान की तरह बहुत सारे गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे।

डार्क-ग्रे' का अर्थ है सख्त चेतावनी

एफएटीएफ के नियमों के अनुसार ग्रे और ब्लैक लिस्ट के बीच डार्क-ग्रे की भी कैटिगरी होती है। 'डार्क-ग्रे' का अर्थ है सख्त चेतावनी, ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके। अगर ऐसा होता है, तो यह पाकिस्तान के लिए कड़ी चेतावनी होगी कि वह एक अंतिम अवसर में खुद को सुधार ले, अन्यथा उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।

जानें क्या हैं एफएटीएफ के नियम

एफएटीएफ के नियमों के अनुसार, ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट के बीच में एक अनिवार्य चरण डार्क ग्रे लिस्ट का होता है। ऐसा होने पर उसके लिए विदेशों से आर्थिक मदद जुटाने में काफी मुश्किल हो सकती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान लगातार डार्क-ग्रे लिस्ट में नाम डाले जाने से बचने के लिए दुनियाभर में हाथ-पैर मार रहा है। बताते चलें कि पेरिस स्थित मुख्यालय पर बुधवार को शुरू हुई एफएटीएफ  की बैठक में 18 अक्टूबर को पाकिस्तान के भाग्य पर फैसला करते हुए उसे चार महीने की आखिरी मोहलत दी गई है।

जून 2018 में ग्रे-सूची में रखा गया था पाक

बता दें कि पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे-सूची में रखा गया था। उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए एक एक्शन प्लान दिया गया था, जिसके तहत उसे आतंकी फंडिंग को रोकने, आतंकवाद को अपनी जमीन से खत्म करने सहित 27 काम सौंपे गए थे। इसमें से महज छह कार्यों को ही पाकिस्तान पूरा कर पाया था।

एक अंतर-सरकारी निकाय है एफएटीएफ

 

एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है। अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली की अखंडता को धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण सहित पेश होने वाले अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए 1989 में इसकी स्थापना की गई थी।

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TAGS: Pakistan, may exit, FATF, gray list, next month, US-Iran tensions
OUTLOOK 24 January, 2020
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