कश्मीर में चुनाव न कराए जाने पर अमेरिका की टिप्पणी, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने दिया जवाब, भारत सरकार से की यह मांग
जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दलों की ओर से राज्य में विधानसभा चुनाव न कराए जाने पर अमेरिका के एक बयान पर प्रतिक्रिया दी गई है। अमेरिका की टिप्पणियों पर केंद्र शासित राज्य के क्षेत्रीय दलों ने कहा है कि इससे पता चलता है कि दुनिया को इस बात की जानकारी है कि कश्मीर में जमीनी हालात क्या हैं। कश्मीर के दलों ने कहा कि भारत सरकार को इन खामियों को दूर करना चाहिए और तत्काल सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए।
दरअसल अमेरिका ने अपने बयान में कहा था कि राज्य में चुनाव नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही उसने मानवाधिकार की चुनौती पर भी सवाल उठाया था। यह बयान नीयर ईस्ट, साउथ एशिया, सेंट्रल एशिया और काउंटर टेररिज्म पर अमेरिकी सीनेट की सब-कमिटी ने 2 मार्च को जारी किया था।
हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि हम इस मामले पर भारत सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि यहां के हालात को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वह 1.3 करोड़ आबादी वाले एक हिस्से को नौकरशाहों के शासन के हवाले नहीं छोड़ सकता। मसूदी ने कहा कि केंद्र सरकार को 5 अगस्त, 2019 को लिए गए अपने निर्णय को वापस लेकर जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
मसूदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने की आवश्यकता है। अमेरिका द्वारा जो बी बयान आए हैं, उन्हें भारत सरकार को वेकअप कॉल की तरह लेना चाहिए। आखिरी बार जम्मू-कश्मीर में दिसंबर 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे और फिर 2015 की शुरुआत में भाजपा और पीडीपी ने मिलकर सरकार का गठन किया था। लेकिन, जून 2018 में भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद यहां राष्ट्रपति शासन लग गया था। 2019 में आर्टिकल 370 हटा दिया गया और राज्य का पुनर्गठन करते हुए लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।
अमेरिका की टिप्पणी पर पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी का भी बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस इलाके को एक प्रकार से बंधक बनाकर रखा गया है और सभी संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। हमारे अधिकारों की लूट हुई है और लोगों को किनारे लगाया जा रहा है।