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01 December 2015

जलवायु परिवर्तन पर चीन, भारत का साथ चाहता है अमेरिका

पीटीआइ

अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स ने कहा, हम महत्वाकांक्षी जलवायु समझौते पर काम कर सकते हैं और साथ ही भारत अपनी महत्वाकांक्षी विकास योजना को भी लागू कर सकता है। वास्तव में हम इस तरह के समाधानों पर काम कर सकते हैं जिनसे जलवायु और विकास दोनों चुनौतियां पूरी हो सकें।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कल हुई द्विपक्षीय बैठकों के बाद वह संवाददाताओं से बात कर रहे थे। रोड्स ने कहा, मेरा मानना है कि दोनों बैठकों में राष्ट्रपति ओबामा ने यह बात बताई कि अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उन्होंने पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और सतत् आर्थिक विकास जिससे लोग गरीबी से ऊपर उठें, को लेकर काम किया और यह प्रतिस्पर्धी लक्ष्य नहीं हैं। वास्तव में इन्हें एक दूसरे से जोड़ा जा सकता है।

ओबामा के शीर्ष सहयोगी ने कहा कि अमेरिकी नेतृत्व अपने परंपरागत सहयोगियों के साथ काम कर रहा है लेकिन चीन और भारत के साथ भी काम कर रहा है ताकि पेरिस में एक अच्छा समझौता हो सके। रोड्स ने कहा कि पेरिस शिखर सम्मेलन के सफल होने के लिए यह आवश्यक है कि भारत और चीन को साथ लेकर चला जाए। उन्होंने कहा,  अगर हम चीन और भारत सहित करीब 200 देशों के साथ यहां समझौता करते हैं, अगर अमेरिका अपने लक्ष्यों से हट जाता है तो हम चीन और भारत की तरफ से उस तरह की महत्वाकांक्षा खो देंगे और दूसरे कहेंगे कि अमेरिका समझौते से हट गया है तो हम इसका पालन क्यों करें? रोड्स ने कहा, ...अगर लोग कहना चाहते हैं कि उससे निपटने का एकमात्र रास्ता है कि चीन और भारत अपना काम करें और फिर हम समझौते से हट जाएं जिसका हिस्सा चीन और भारत हैं, तो हम अपना वैश्विक नेतृत्व खो देंगे।

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TAGS: जलवाायु परिवर्तन, पेरिस समझौता, अमेरिका, चीन, भारत, विकास, Climate change, the Paris agreement, the US, China, India, development
OUTLOOK 01 December, 2015
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