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18 May 2019

यहां वोट डालना है अनिवार्य, नहीं डालने पर देना पड़ता है 1000 का जुर्माना

File Photo

ऑस्ट्रेलिया में शनिवार यानी आज आम चुनाव होने हैं। जहां दुनियाभर के लोकतंत्रों में वोटिंग प्रक्रिया जनता की भागीदारी पर निर्भर है, वहीं ऑस्ट्रेलिया समेत कुल 23 देशों में अनिवार्य वोटिंग का प्रावधान है। यानी इन देशों में नागरिकों के लिए वोटिंग करना जरूरी है वरना उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

ऑस्ट्रेलिया में 1924 में पहली बार अनिवार्य मतदान के नियम बनाए गए थे। इसके बाद कभी देश का वोटर टर्नआउट 91% से नीचे नहीं गया है। अध्ययन के मुताबिक, इन प्रावधान के बाद लोगों ने भी बढ़-चढ़ कर देश की राजनीति में हिस्सा लेना शुरू किया है।

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नहीं दिया वोट तो काटने पड़ सकते हैं कोर्ट के चक्कर 

ऑस्ट्रेलिया में वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन और वोटिंग करना दोनों ही कानूनी कर्तव्यों में शमिल है। इसका मतलब 18 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिए वोट करना जरूरी है। वोटिंग न करने पर सरकार मतदाता से जवाब मांग सकती है। संतोषजनक जवाब या कारण न मिलने पर उस पर 20 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 1000 रुपए) का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा उसे कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़ सकते हैं।

अनिवार्य वोटिंग को आजादी के खिलाफ मानते हैं विरोधी

अनिवार्य वोटिंग के विरोधियों का कहना है कि यह लोकतंत्र के मूलभूत आधार- आजादी के खिलाफ है, यानी इसमें नागरिक की मर्जी नहीं चलती। हालांकि, इस सिस्टम के समर्थक कहते हैं कि नागरिकों को देश के राजनीतिक हालात से जरूर परिचित होना चाहिए। इसके अलावा सरकार चुनने में जनता की भागीदारी भी काफी अहम है।

खास बात यह है कि नागरिक भी अनिवार्य वोटिंग को गंभीरता से लेते हैं। इसी के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (55%) और यूके (70%) के मुकाबले वहां वोटिंग प्रतिशत काफी बेहतर रहता है। 1994 में तो देश का वोटर टर्नआउट 96.22% तक जा चुका है। 95 सालों के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया में वोटर टर्नआउट कभी 91% के नीचे नहीं गया।

वोटर्स के लिए व्यवस्थाओं में भी सबसे आगे है ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में अनिवार्य वोटिंग के मायनों को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने भी समय-समय पर मतदाताओं के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी की है। मसलन जिनके पास घर नहीं है वह मतदाता यात्री वोटर के तौर पर खुद को रजिस्टर करा सकता है। इसके अलावा दिव्यांग, दिमागी बीमारी से पीड़ित या अन्य दिक्कतों से जूझ रहे लोगों के लिए भी अलग-अलग इंतजाम किए जाते हैं। अपने मतदान केंद्र से दूर या किसी बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती वोटर्स पोस्टल बैलट और अर्ली वोटिंग (समय पूर्व मतदान) जैसी सुविधाओं के जरिए भी वोट डाल सकते हैं।

12 साल में बने 6 प्रधानमंत्री

ऑस्ट्रेलिया में 12 साल में 6 प्रधानमंत्री बन चुके हैं। 2007 से केविन रड 934 दिन पीएम रहे थे। जूलिया गिलार्ड 2010 से 1099 दिन तक पद पर रहीं। रड 2013 में फिर पीएम चुने गए, पर 83 दिन ही सके। 2013 में टोनी एबट आए। उनका टर्म 727 दिन रहा। मैल्कम टर्नबुल 2015 में आए। 1074 दिन बाद पद छोड़ना पड़ा। 2018 में स्कॉट मॉरिसन 270 दिन के पीएम बने।

 

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TAGS: Voting, under way, climate-dominated, Aussie election, mandatory, vote, pay fine, 1000 rps
OUTLOOK 18 May, 2019
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