हम एकसाथ शोकाकुल हैं: ब्रिटेन की उप प्रधानमंत्री रेनर ने अहमदाबाद विमान दुर्घटना पर कहा
ब्रिटेन की उप प्रधानमंत्री एंजेला रेनर ने कहा कि ब्रिटेन और भारत पिछले सप्ताह एअर इंडिया के अहमदाबाद-लंदन विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से प्रभावित सभी लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हैं।
रेनर के साथ अन्य सांसद, विदेश कार्यालय के अधिकारी और भारतीय समुदाय के सदस्य सोमवार शाम को लंदन में इंडिया हाउस द्वारा आयोजित एक बहु-धर्मीय स्मृति कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने विमान हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
रेनर ने भारतीय उच्चायोग में दिए अपने संबोधन में कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों से मैं सोच रही हूं कि ब्रिटेन और भारत के बीच बहुत ज्यादा दूरी हो सकती है लेकिन वास्तव में हम बहुत, बहुत ज्यादा करीब हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारे रिश्ते बहुत सहज और गहन हैं। हम एक साथ शोकाकुल हैं। मैं यहां मौजूद और उच्चायोग के बाहर उपस्थित सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहती हूं। ब्रिटेन आपके साथ है और आपका साथ देता रहेगा।’’
एअर इंडिया की लंदन जाने वाली उड़ान संख्या 17 गत बृहस्पतिवार को अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी जिसमें उसमें सवार 271 यात्री और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गयी थी जबकि एक यात्री चमत्कारिक रूप से बच गया था।
ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने दुख की इस घड़ी में ब्रिटेन के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
दोरईस्वामी ने कहा, ‘‘इस त्रासदी ने हम सभी को यह एहसास दिलाया है कि किस तरह अचानक जिंदगी खत्म हो सकती है।’’
इस स्मृति समारोह के साथ ही हाउस ऑफ कॉमन्स में भी ‘एअर इंडिया विमान दुर्घटना’ पर बहस की गयी। विदेश कार्यालय के मंत्री हैमिश फाल्कनर ने संसद को इस हादसे से प्रभावित ब्रिटिश नागरिकों की मदद के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
फाल्कनर ने कहा, ‘‘ब्रिटेन में लगभग 20 लाख भारतीय और विशेष रूप से गुजराती समुदाय के प्रवासी रहते हैं इसलिए हम इस त्रासदी का दर्द एक साथ महसूस करते हैं। यह हमें न केवल हमारे लोगों के बीच गहरे व्यक्तिगत संबंधों की याद दिलाता है, बल्कि भारत के साथ हमारी साझेदारी की ताकत की भी याद दिलाता है – एक ऐसी साझेदारी है जो संकट के समय में विश्वास, साझा मूल्यों और आपसी सहयोग पर आधारित है।’’
छाया विदेश मंत्री प्रीति पटेल ने उन रिपोर्टों का जिक्र किया जिसमें ब्रिटिश परिवारों ने दावा किया गया है कि ब्रिटेन ने भारत में जमीनी स्तर पर मदद के लिए चिकित्सा दल नहीं भेजे।