तकनीक और फंड मिले तो कोयले पर निर्भरता कम करेगा भारत
ऐसी खबरें थीं कि भारत ऊर्जा से जुड़ी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले का प्रयोग बढ़ाने की अपनी योजनाओं के चलते अलग खड़ा पाया जाएगा, वहीं भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सौर और पवन उर्जा का विकास उसकी पहली प्रतिबद्धता रहेगा। इसके बाद जलीय और परमाणु उर्जा का स्थान होगा और इसके बाद कोयले का स्थान होगा। भारत के प्रमुख वार्ताकार अजय माथुर ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में कहा, हमने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा हमारी पहली प्रतिबद्धता है। जल और परमाणु ये सभी गैर-कार्बनिक स्रोत हैं, जिन्हें हम अपनी क्षमता के अनुरूप ज्यादा से ज्यादा विकसित करेंगे। जो जरूरतें इनसे पूरी नहीं हो सकेंगी, उन्हें कोयले से पूरा किया जाएगा।
इसी के साथ भारत ने यह भी कहा कि यदि विकसित देश पर्याप्त वित्तीय मदद और प्रमुख तकनीकें देकर भारत की अर्थव्यवस्था को नवीकरणीय स्रोतों की ओर त्वरित ढंग से मोड़ने में मदद करने के लिए तैयार हैं तो वह कोयले पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए तैयार है। विकसित देशों की ओर इशारा करते हुए माथुर ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत पेरिस में एक ऐसे समझौते का इंतजार कर रहा है, जो कि उन देशों की ओर से वित्तीय मदद संभव बनाता हो, जिन्होंने सस्ती ऊर्जा के आधार पर विकास किया।