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12 November 2015

लेखकों ने कैमरन से कहा, भारत में असहिष्णुता बढ़ने का मुद्दा मोदी के समक्ष उठाएं

पीआईबी

कैमरन को लिखे गए खुले पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में बुकर पुरस्कार से सम्मानित रश्दी, हाल में बुकर पुरस्कार के लिए चुने गए भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक नील मुखर्जी के साथ ही इयान मैकइवान और हरी कुंजरू जैसे जाने माने नाम शामिल हैं। कैमरन को लिखे गए इस पत्र में यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा हो। पीईएन की ओर से कल जारी पत्र भारत में असहिष्णुता बढ़ने के मुद्दे पर एक महीने से कम समय में उसकी ओर से जारी दूसरा एेसा पत्र है। 17 अक्तूबर को 150 से अधिक देशों के लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों एवं कलाकारों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की थी।

पत्र पर पीईएन इंटरनेशनल के इंग्लैंड, वेल्स और स्काटलैंड स्थित केंद्रों के सदस्यों ने हस्ताक्षर किया है। इसमें कहा गया है, हम हस्ताक्षर करने वाले भारत में भय का वातावरण, असहिष्णुता बढ़ने और कट्टरपंथ या कट्टरवाद की आलोचना करने वालों या उसे चुनौती देने वालों के प्रति हिंसा को लेकर बहुत चिंतित हैं....हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ सार्वजनिक और निजी चर्चा करें।

इसमें कहा गया है, कृपया उनके देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति के बारे में बात करें, उनसे आग्रह करें कि वे भारत के संविधान में निहित लोकतांत्रिाक स्वतंत्रता की भावना के प्रति ईमानदार रहें। इस पत्र में हाल में हुई एम एम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे और नरेंद्र डाभोलकर की हत्याओं का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही इसमें उन विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया गया है, जिनके तहत कम से कम 40 भारतीय लेखकों ने अपने पुरस्कार साहित्य अकादमी को हमलों पर उसकी चुप्पी की निंदा करते हुए लौटा दिये हैं।

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पत्र में पिछले महीने शिवसैनिकों के विरोध प्रदर्शनों के चलते पाकिस्तानी गायक गुलाम अली का कन्सर्ट रद्द होने तथा आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन अध्यक्ष सुधींद्र कुलकर्णी पर स्याही फेंके जाने की घटनाओं का उल्लेख भी किया गया है। इसमें कहा गया है भारत में संवैधानिक प्रतिबद्धताओं के बावजूद देश की विधि प्रणाली अन्य को चुप कराना आश्चर्यजनक रूप से आसान बना देती है। पत्र में कहा गया है, विरोध सभी भाषाओं के भारतीय लेखकों के समुदाय से आगे बढ़ गया है। वैज्ञानिकों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं, शिक्षाविदों,  विद्वानों और अभिनेताओं ने या तो असहिष्णुता के वातावरण के बारे में शिकायत की है या एेसे पैमाने पर पुरस्कार लौटाये हैं जैसा भारत में इससे पहले नहीं देखा गया।

पत्र में कहा गया है, मानवाधिकार प्रोत्साहित करने की ब्रिटेन की घोषित प्रतिबद्धता के तहत हम आपसे कहते हैं कि आप उपरोक्त मुद्दों को प्रधानमंत्री के समक्ष उठायें और उनसे लेखकों, कलाकारों और अन्य आलोचनात्मक आवाजों को बेहतर सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध करें ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके। इस संरक्षण के बिना एक लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण समाज संभव नहीं है।

 

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TAGS: नरेंद्र मोदी, भारत, डेविड कैमरन, ब्रिटेन, सलमान रश्दी, लेखक, विरोध, पत्र, प्रधानमंत्री, writers, British Government, India, narendra modi, David Cameron
OUTLOOK 12 November, 2015
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