इज़रायल ने युद्धविराम स्वीकारा, कहा- मकसद था परमाणु खतरे का अंत; ईरान ने रखी यह शर्त
इजरायल ने मंगलवार, 24 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित द्विपक्षीय सीजफायर को स्वीकार कर लिया, जिसके साथ ही 12 दिन से चले आ रहे इजरायल-ईरान युद्ध का अंत हो गया। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि इजरायल ने अपनी सैन्य कार्रवाई, 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' में सभी लक्ष्य हासिल कर लिए, जिसमें ईरान की परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं को "पूरी तरह नष्ट" करना शामिल था। नेतन्याहू ने ट्रंप और अमेरिका का आभार जताया, जिन्होंने इस अभियान में रक्षा सहायता और भागीदारी प्रदान की।
यह सीजफायर ईरान द्वारा सोमवार को कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदेद पर मिसाइल हमले के कुछ घंटों बाद लागू हुआ, जो अमेरिका के शनिवार को ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु ठिकानों पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से हमले का जवाब था। ईरान ने इन हमलों को "अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन" बताया, लेकिन कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी की मध्यस्थता के बाद तेहरान ने सीजफायर पर सहमति जताई।
नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा, "इजरायल ने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल क्षेत्रों में दोहरे तत्काल खतरे को समाप्त कर दिया।" हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि सीजफायर का उल्लंघन होने पर इजरायल "जोरदार जवाब" देगा। ईरान की ओर से सरकारी टेलीविजन ने मंगलवार सुबह 7:30 बजे से युद्धविराम की पुष्टि की, लेकिन उसी समय इजरायल ने बीरशेबा में ईरानी मिसाइल हमले में पांच लोगों की मौत की सूचना दी।
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने शुरू में सीजफायर से इनकार किया, लेकिन बाद में कहा कि अगर इजरायल हमले रोकता है, तो ईरान भी ऐसा करेगा। संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था (IAEA) ने चेतावनी दी कि बुशहर रिएक्टर पर हमला मध्य पूर्व में परमाणु आपदा ला सकता है। वैश्विक बाजारों में तनाव कम होने से तेल की कीमतें दो सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गईं।
यह युद्ध 13 जून को इजरायल के तेहरान में हमलों से शुरू हुआ था, जिसमें कई ईरानी सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। ट्रंप ने इसे "12 डे वॉर" करार दिया और इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताया।