शेख हसीना : समर्थकों के लिए ‘आयरन लेडी’, आलोचकों के लिए ‘तानाशाह’
बांग्लादेश में विकास कार्यों को गति देने और कभी सैन्य शासित रहे देश को स्थिरता प्रदान करने के लिए शेख हसीना के समर्थक जहां ‘‘आयरन लेडी’’ के रूप में उनकी सराहना करते हैं, वहीं उनके आलोचक व विरोधी उन्हें ‘‘तानाशाह’’ नेता करार देते हैं।अवामी लीग पार्टी की प्रमुख 76 वर्षीय शेख हसीना दुनिया में सबसे लंबे समय तक पदस्थ महिला राष्ट्र प्रमुखों में से एक हैं।
सितंबर 1947 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जन्मीं हसीना 1960 के दशक के अंत में ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान राजनीति में सक्रिय हुईं। पाकिस्तानी सरकार द्वारा रहमान को कैद किए जाने के दौरान उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक गतिविधियों की बागडोर संभाली। वर्ष 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिलने के बाद हसीना के पिता मुजीबुर रहमान देश के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री बने। अगस्त 1975 में रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में सैन्य अधिकारियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना विदेश में होने के कारण इस हमले से बच गईं। भारत में छह साल निर्वासन में बिताने वाली हसीना को बाद में अवामी लीग का नेता चुना गया। वर्ष 1981 में हसीना स्वदेश लौट आईं और सेना द्वारा शासित देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए मुखर हुईं, जिसके चलते कई मौकों पर उन्हें नजरबंद किया गया।
वर्ष 1991 के आम चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग बहुमत हासिल करने में विफल रही। उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी नेता खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में हसीना प्रधानमंत्री चुनी गईं। 2001 के चुनाव में हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा लेकिन 2008 के चुनाव में वह प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौट आईं।
वर्ष 2004 में हसीना हत्या के एक प्रयास से उस समय बच गईं, जब उनकी रैली में एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ। सत्ता में आने के तुरंत बाद 2009 में हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन किया। न्यायाधिकरण ने विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे।