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01 October 2016

पाकिस्तान के माहौल के हिसाब से नहीं ढाला गया है लोकतंत्र: मुशर्रफ

फाइल फोटो

मुशर्रफ ने अमेरिका में वाशिंगटन आइडियाज फोरम में एक साक्षात्कार के दौरान कहा, हमारी आजादी के बाद से सेना की हमेशा भूमिका रही है। सेना ने पाकिस्तान के शासन में बहुत अहम भूमिका निभाई है। इसका मुख्य कारण तथाकथित लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों का कुशासन रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मूल कमजोरी यह रही है कि इस देश में माहौल के अनुसार लोकतंत्र को नहीं ढाला गया। मुशर्रफ ने देश में बार-बार हुए सैन्य तख्तापलट को सही ठहराते हुए कहा, जब कुशासन जारी है और पाकिस्तान सामाजिक आर्थिक रूप से नीचे की ओर जा रहा है तब सेना को राजनीतिक माहौल में जबरन घुसाया, खींचा जाता है। जनता सैन्य प्रमुख की ओर भागती है और इस तरह सेना संलिप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस वजह से पाकिस्तान में सैन्य सरकारें रही हैं और सेना का कद उंचा है।

मुशर्रफ ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, पाकिस्तान के लोग सेना को प्यार करते हैं और उससे बहुत उम्मीदें रखते हैं। इसलिए मुझे इस बात पर गर्व है कि सेना ने मुझे समर्थन दिया क्योंकि मैं 40 साल तक उसके साथ रहा हूं। मैंने उनके साथ युद्ध लड़े। मैंने दो युद्ध लड़े और मैं कई कार्रवाइयों में उनके साथ रहा। इसलिए मुझे पता है कि उन लोगों ने ही मुझे चुना है। उन्होंने कहा, इसलिए हमें पाकिस्तान जो कहता है, उसके हिसाब से राजनीतिक संरचना को ढालना होगा, नियंत्रण एवं संतुलन लागू करना होगा ताकि कुशासन नहीं हो सके और सेना को राजनीति में न आना पड़े। मुशर्रफ ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने अपनी सुविधानुसार उनके देश का इस्तेमाल किया और उसे धोखा दिया। उन्होंने कहा कि वह अपने देश वापस लौटने की योजना बना रहे हैं।  पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, मझे पता है कि यह मुकदमा पूरी तरह से राजनीतिक है लेकिन मुझे इसका सामना करना होगा।

हालांकि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी वापसी के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। मुशर्रफ ने कहा, मुझे लगता है कि मैं मूर्ख नहीं हूं। इसलिए मैं वहां सही माहौल देखना चाहता हूं जिसमें राजनीतिक परिवर्तन के लिए तीसरी राजनीतिक शक्ति की संभावना हो। मैं मामलों को उस स्तर पर देखना चाहता हूं, जहां मेरी गतिविधियां प्रतिबंधित नहीं हों, भले ही मेरे ऊपर मामले चलते रहें। मुशर्रफ ने दावे के साथ कहा कि उन्हें ओसाबा बिन लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी का पता नहीं था। मुशर्रफ ने कहा कि उन्हें इस बात में भी संदेह है कि बिन लादेन वास्तव में पांच साल तक एबटाबाद वाले मकान में रहा होगा। उन्होंने कहा, हो सकता है वह वहां आता जाता रहा हो। मुझे अभी भी ऐसा ही लगता है और अगर वह वहां रहता था, तो मुझे लगता है कि उसने सीआईए को भी खुद ही फोन कर बताया होगा कि वह वहां रह रहा है।

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OUTLOOK 01 October, 2016
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