वैदिक युग, महावीर, बुद्ध और गांधी के साथ, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाए जाने के बाद कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा कि दशकों से पाकिस्तान का ध्यान राष्ट्र नीति के तौर पर ‘‘आतंकवाद के स्पष्ट इस्तेमाल’’ के जरिए भारत की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने पर रहा है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने खबर दी है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में शांति की संस्कृति पर उच्च स्तरीय फोरम को संबोधित करते हुए एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा।
मलीहा लोधी ने कश्मीर के बारे में कहा, ‘‘विदेशी कब्जे और आत्म निर्णय के अधिकार समेत मौलिक अधिकार ना देने से कब्जे वाले इलाके के लोगों और शोषितों के बीच अन्याय की भावना को बढ़ावा मिलता है।’’
उन्होंने मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के पूर्व उच्चायुक्त जेद राद अल हुसैन द्वारा कश्मीर पर जारी हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कश्मीर और फलस्तीन में लोगों के दर्द और पीड़ा से ज्यादा स्पष्ट यह और कहीं नहीं है।’’
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में मंत्री श्रीनिवास प्रसाद ने कहा कि शांति की संस्कृति महज कोई सिद्धांत नहीं है जिस पर चर्चा की जाए बल्कि यह देशों के बीच वैश्विक संबंधों में सक्रिय रूप से स्थापित होनी चाहिए।
पाकिस्तान के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए प्रसाद ने कहा कि यह विडंबना है कि पाकिस्तान ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ‘न्याय और आत्म निर्णय’’ के लिए एक अनुमानित चिंता की आड़ में भारतीय क्षेत्र पर एक बार फिर दावा जताने के लिए इस मंच का इस्तेमाल करना चुना जिसका दशकों से ध्यान देश की एक नीति के तौर पर आतंकवाद के स्पष्ट इस्तेमाल के जरिए भारत की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने पर रहा है।
भारत के प्रतिनिधि ने एक बार फिर दोहराया कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘एक लोकतंत्र के तौर पर भारत ने हमेशा लोगों की पसंद का पालन किया है और वह आतंकवाद तथा चरमपंथ द्वारा इस आजादी को कमजोर नहीं होने देगा।’’
प्रसाद ने कहा कि भारत का चिरकालिक सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘विश्व एक परिवार है’ की अवधारणा का रहा है।
महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अहिंसक क्रांति सत्ता पर काबिज होने का कार्यक्रम नहीं है। यह संबंधों में बदलाव का कार्यक्रम है।’’
प्रसाद ने कहा, ‘‘वैदिक युग से लेकर महान शिक्षक महावीर और बुद्ध से लेकर गांधी तक भारत का संदेश हमेशा शांति की संस्कृति की जरुरत के बारे में रहा है। शायद यह शांति की संस्कृति की विरासत के कारण है जिसने भारत का निर्माण किया जो विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है।’’
उन्होंने कहा कि भारत भगवान बुद्ध का जन्म स्थान है तो दुनिया में मुस्लिमों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी इस देश में है।
प्रसाद ने कहा, ‘‘हम इस विरासत को लेकर सचेत एवं गौरवान्वित हैं और इसलिए शांति की संस्कृति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता स्वाभाविक और सहज है।’’