मुंबई हमलाः पाक अफसर ने अपनी सरकार को दिखाया आईना
यूं तो पाकिस्तान कभी यह नहीं मानता कि भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने में उसका कोई हाथ है मगर 26 नवंबर, 2008 के मुंबई आतंकी हमले में एक आतंकी (अजमल कसाब) के जीवित पकड़े जाने ने उसकी कलई खोल कर रख दी और पूरी दुनिया के सामने यह साबित हो गया कि पाकिस्तान की जमीन से आतंक को समर्थन दिया जा रहा है। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने नहीं माना कि कोई सरकारी एजेंसी सीधे इस घटना को अंजाम देने में शामिल थी। अब पाकिस्तान के एक शीर्ष अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि मुंबई आतंकी हमले की पूरी साजिश पाकिस्तान में रची गई और इसके 7 पुख्ता सबूत जांचकर्ताओं के पास हैं। इस अधिकारी ने अपनी सरकार को यह भी सलाह दी है कि वह मुंबई हमले के दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलना सुनिश्चित करे।
पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईबी) के महानिदेशक रहे तारीक खोसा ने सोमवार को पाकिस्तान के डॉन अखबार में लिखे लेख में कहा है कि मुंबई में हुए इस हमले ने दोनों देशों को परमाणु युद्ध के मुहाने पर पहुंचा दिया था। खोसा कहते हैं कि मुंबई हमले में पाकिस्तानियों का हाथ था इसके कुछ तथ्य एफआईबी की जांच से निर्विवाद रूप से साबित हुए थे।
1. अजमल कसाब एक पाकिस्तानी नागरिक था। उसकी रिहाइश, स्कूल की पढ़ाई और प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन में शामिल होने की सभी घटनाएं जांचकर्ताओं ने सही पाई।
2. प्रतिबंधित संगठन लश्कर ए तैयबा के आतंकियों को सिंध के थट्टा में प्रशिक्षण दिया गया और यहां से समुद्र के रास्ते भेजा गया। इस प्रशिक्षण शिविर की तलाश जांचकर्ताओं से पूरी सफलता से की। मुंबई हमले में जो विस्फोटक इस्तेमाल किए गए उनके आवरण इस कैंप में पाए गए।
3. तीसरा, भारतीय नौका पर कब्जा करने के लिए आतंकियों ने मच्छीमार नौका का इस्तेमाल किया उसे तट पर लाकर दोबारा से पेंट कर दिया गया था और छिपा दिया गया था। जांचकर्ताओं ने इसे बरामद किया और सफलता पूर्वक इसका संबंध आरोपियों के साथ जोड़ा गया।
4. भारतीय नौका से जिस डेंगी या छोटी नाव में आतंकी सवार होकर मुंबई तट तक पहुंचे थे उसका इंजन उन्होंने वहीं तट पर छोड़ दिया था। इसपर एक पेटेंट नंबर था जिससे सफलतापूर्वक यह पता चला कि जापान से लाहौर आयात किया गया था और वहां से कराची में खेल के सामान के दुकान तक पहुंचा था। यहां से लश्कर ए तैयबा के उग्रवादी ने इसे खरीदा। इस मामले में पैसे के आवागमन की पूरी जानकारी जुटाई गई और उसे संबंधित उग्रवादी से सफलतापूर्वक जोड़ने में जांचकर्ताओं को कामयाबी मिली।
5. कराची में जांचकर्ता उस ऑपरेशन रूम तक पहुंचने में कामयाब रहे जहां से इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इंटरनेट प्रोटोकॉल वाइस ओवर के जरिये पूरे संवाद का खुलासा करने में मदद मिली।
6. कथित कमांडर और उसके सहयोगियों की पहचान और गिरफ्तारी हुई।
7. दो विदेशी लाभार्थी और सहयोगी गिरफ्तार किए गए और मुकदमे की सुनवाई के लिए लाए गए।
खोसा ने अपने लेख में यह भी लिखा है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही आतंकवाद से जिस तरह पीड़ित हैं उसे देखते हुए यह जरूरी है कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक से पहले एक दूसरे की चिंताओं का समाधान करे। भारत पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आतंकवाद पर पाकिस्तान की चिंताओं पर गौर करे और पाकिस्तान मुंबई हमले के मामले में साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने में अपना पूरा जोर लगाए। हालांकि उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि ऐसा हो नहीं रहा है क्योंकि इतने वर्षों में इस मामले की सुनवाई किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। आरोपियों की तरफ से कई रुकावटें डाली जा रही हैं, जजों का बार-बार तबादला कर दिया जाता है और अभियोजन के वकीलों की हत्या कर दी जाती है। ऐसे में भारत के साथ विश्वास का माहौल बनना कठिन है।