नेपाल में तबाही के बाद बीमारी से बचने की चुनौती
स्वास्थ्य विशेषग्यों को डायरिया, श्वसन संक्रमण, आंख एवं त्वचा से जुड़े रोगों के फैलने का डर है। इससे बेघर और भोजन पानी की आपूर्ति की कमी का सामना कर रहे लोगों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। भूकंप से फैरक्चर, रीढ़ की हड्डी में चोट, सदमा और बाल स्वास्थ्य जैसे बड़े मुद्दे हैं जो स्वास्थ्य विशेषग्यों को चिंतित कर रहे हैं। स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय में नीति एवं योजना और अंतरराष्ट्रीय संयोजन समिति के प्रमुख डॉ. पीवी चांद ने पीटीआई भाषा को बताया, इस वक्त हम भूकंप बाद के रोगों को लेकर चिंतित हैं।
हमें विषाणु एवं जल जनित रोगों के फैलने की आशंका है। चांद ने बताया, हमने जिला अधिकारियों को हालात के लिए तैयार होने को कहा है। हम आने वाले दिनों में सामने आने वाले रोगों के बारे में लोगों को जागरूक करने की भी योजना बना रहे हैं। स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि नेपाल ताजा जल के लिए बड़े पैमाने पर टैंकरों और कुओं पर निर्भर है। भूकंप के बाद जलापूर्ति बाधित हो गई और कई कुएं क्षतिग्रस्त हो गए जिससे जल जनित रोगों की आशंका बढ़ गई।
इसी तरह से स्वच्छता भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कई शव अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं और सड़ गए हैं। काठमांडो सहित जिला मुख्यालयों में अस्पताल खचा-खच भरे हुए हैं और मेडिकल आपूर्ति एवं सुविधाओं का अभाव है। एक अन्य बड़ी चुनौती पर्वतीय जिलों में होगी जहां समस्या अधिक गंभीर हो सकती है क्योंकि भूकंप के बाद वहां पहुंचने में मुश्किल हो रही है। इन मुद्दों पर डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्रालय के साथ तालमेल बना रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ के आपात सेवा कार्यक्रम के कार्यक्रम अधिकारी दामोदर अधिकारी ने बताया कि वह लोग स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय के साथ काम कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ की टीमें सभी प्रभावित जिलों मे तैनात है और वह शिविरों की निगरानी कर रहे हैं।