मधेसियों की मांगों के लिए नेपाल संविधान संशोधन को तैयार
मंत्रिमंडल की कल रात काठमांडो में हुई आपात बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। बैठक में एक राजनीतिक प्रणाली पर भी सहमति बनी जो अपने गठन के तीन माह के भीतर प्रस्तावित प्रांतीय सीमाओं को लेकर विवाद के समाधान के लिये सुझाव देगी। मधेसियों के आंदोलनरत राजनीतिक दल नए संविधान में प्रस्तावित सात प्रांतीय माॅडल का पिछले चार महीने से विरोध करते आ रहे हैं क्योंकि इससे उनके पुरखों के होमलैंड का इस तरह विभाजन होगा कि वे अपने ही क्षेत्र में राजनीतिक रूप से हाशिये पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने भारत के साथ लगती सीमा व्यापार मार्गों को बंद कर रखा है जिससे देश में जरूरी वस्तुओं और दवाइयों की भारी किल्लत पैदा हो गयी है।
अगस्त से जारी भारतीय मूल के मधेसियों के आंदोलन में कम से कम 50 लोगों की जान जा चुकी है। नेपाल की जनंसख्या में मधेसी 52 फीसदी हैं। बैठक में नए संविधान में संशोधन से संबंधित उस विधेयक के साथ आगे बढ़ने का निर्णय किया गया जो संसद में पहले ही पेश किया जा चुका है।मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उद्योग मंत्री सोम प्रसाद पांडे ने संवाददाताओं से कहा, इस विधेयक से विभिन्न सरकारी संगठनों में अनुपातिक समग्र प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ है जिसकी आंदोलनकारी दलों ने मांग की थी। उसमें जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्राें के परिसीमन का प्रस्ताव भी रखा गया है।
नेपाल मंत्रिमंडल के इस फैसले का भारत द्वारा स्वागत किए जाने की संभावना है क्योंकि भारत नेपाल सरकार से अपनी राजनीतिक समस्याओं का हल करने तथा 20 सितंबर को अंगीकृत संविधान की व्यापक स्वीकार्यर्ता का आह्वान करता रहा है। आंदोलनरत दलों के साथ विभिन्न दौर की वार्ता में तीन सूत्री प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इन दलों ने कई आपत्तियां दर्ज की थीं तथा और स्पष्टीकरण मांगा था। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रेस सलाहकार प्रमोद दहल ने कहा, हम आशान्वित हैं कि इस फैसले का सकारात्मक नतीजा निकलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में आंदोलनरत मधेसी दलों के जवाब का इंतजार कर रही है।