नेपाल में गहराए राजनीतिक मतभेद
पूर्व प्रधानमंत्री और माओवादी पार्टी प्रमुख प्रचंड ने कहा कि विपक्षी गठबंधन तब तक वार्ता के लिए नहीं बैठेगा जब तक कि सरकार वार्ता के लिए एक सौहार्दपूर्ण और विश्वसनीय माहौल नहीं बनाती।
प्रचंड ने चेतावनी दी कि विपक्ष की आवाज को नजरअंदाज कर यदि सत्तारूढ़ गठबंधन ने संविधान लागू करने की कोशिश की तो इससे राजनीतिक तबाही आ जाएगी।
इस बीच प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने प्रदर्शनकारी पार्टियों से गतिरोध तोड़ने और संविधान निर्माण के विवादास्पद मुद्दे पर वार्ता करने को कहा। उन्होंने कहा कि अब हमें आंदोलन, हिंसा, भय और धमकी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि हमें सहयोग और समझौते के आधार पर आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि शीघ्र ही संविधान का मसौदा तैयार कर अतीत के लोकतांत्रिक गतिविधियों की उपलब्धता को संस्थागत किया जा सके।
कोइराला ने भरोसा जताया कि वार्ता के लिए बैठने से संकट का हल होगा और पक्षों को आपसी टकराव और आंदोलन से दूर रहना चाहिए क्योंकि यह सिर्फ राजनीतिक माहौल को दूषित करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन, हमारे दोनों पड़ोसी देश में समृद्धि लाने में सहयोग और मदद करने को इच्छुक हैं। नेपाल में शांति एवं स्थिरता स्थापित करने के पक्ष में पड़ोसी देश सहित समूचा विश्व समुदाय है। हमे उपयुक्त अवसर नहीं गंवाना चाहिए।