इस्लामाबाद में बनेगा पहला हिंदू मंदिर, लंबे विवाद के बाद इमरान सरकार ने दी निर्माण की मंजूरी
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इस्लामाबाद में मंदिर निर्माण के लिए आवंटित भूमि का आवंटन हिंदू समुदाय को रद्द करने के चंद घंटों के भीतर उसे बहाल कर दिया। यह बहाली जनता द्वारा बड़े स्तर पर विरोध के बाद बढ़ती किरकिरी के चलते की गई। इस्लामाबाद शहर के प्रबंधकों ने अब उस अधिसूचना को वापस ले लिया है जिसके तहत भूखंड रद्द किया गया था। राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) ने बताया कि उस अधिसूचना को वापस ले लिया गया है, जिसके तहत भूमि आवंटन रद्द किया गया था।
डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, इस्लामाबाद में चार कनाल भूमि 2017 में पहले हिंदू मंदिर, श्मशान और सामुदायिक केंद्र के निर्माण के लिए आवंटित की गई थी। बाद में अल्पसंखक विरोधी तबके की वजह से मामला लगातार अटकता रहा। बता दें कि सीडीए के वकील जावेद इकबाल ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में एक सुनवाई के दौरान बताया था कि नागरिक एजेंसी द्वारा इस साल फरवरी में हिंदू मंदिर के लिए दी गई जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था।
वहीं, एक अधिकारी ने बताया कि सीडीए सिर्फ सरकार के आदेशों का पालन कर रहा था, जिसमें विभिन्न कार्यालयों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों को आवंटित ऐसी जमीन का आवंटन रद्द करने को कहा गया था, जिन पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया हुआ है। हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि एजेंसी ने सरकार के आदेश की गलत व्याख्या की। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है अब सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा’।
पिछले साल जुलाई में, कट्टरपंथी इस्लामी समूहों ने सरकारी धन से हिंदू मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार की आलोचना की थी, जिसके बाद सीडीए ने हिंदू समुदाय को भूखंड के चारों ओर चारदीवारी बनाने से रोक दिया था। हालांकि, दिसंबर में प्रशासन ने मंदिर के चारों तरफ दीवार बनाने की अनुमति दे दी थी।
गौरतलब है कि इस्लामाबाद में एक भी हिंदू मंदिर या हिंदुओं के लिए कोई श्मशान घाट नहीं है। हिंदू समुदाय के प्रयासों और पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर, सीडीए ने 2017 में समुदाय को चार कनाल भूमि आवंटित की थी।