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17 August 2015

श्रीलंका में मतदान, वापसी पर टिकी राजपक्षे की नजर

एपी

हालांकि राष्ट्रपति सिरिसेना ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि यूपीएफए को बहुमत मिलने पर भी राजपक्षे को प्रधानमंत्री नहीं बनाया जाएगा। श्रीलंका के चुनाव में दिलचस्प तथ्य यह है कि सिरिसेना और राजपक्षे एक ही गठबंधन यूपीएफए के सदस्य हैं मगर सिरिसेना नहीं चाहते कि राजपक्षे सक्रिय राजनीति में बने रहें। संसदीय चुनाव के प्रारंभिक नतीजे मंगलवार रात से आने की उम्मीद है।

225 सीटों वाली राष्ट्रीय संसद के चुनाव लिए करीबी मुकाबला प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) और राष्ट्रपति सिरिसेना के यूपीएफए के बीच है। श्रीलंका की राजनीति का एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि सिरिसेना और विक्रमसिंघे मिलकर देश का शासन चला रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे को हराने के लिए विक्रमसिंघे ने सिरिसेना को समर्थन दिया था और जीतने के बाद सिरिसेना ने अल्पमत में होने के बावजूद यूएनपी के नेता विक्रमसिंघे को देश को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। श्रीलंका के संविधान में राष्ट्रपति को बेहिसाब शक्तियां मिली हुई हैं और इन्हीं के तहत सिरिसेना ने यह नियुक्ति की थी। वैसे कमाल की बात यह है कि राष्ट्रपति को यह असिमित शक्तियां राजपक्षे के कार्यकाल में संविधान संशोधनों के जरिये मिली थी मगर अब यही शक्तियां राजपक्षे को श्रीलंका की राजनीति से दूर रखने का कारण बन रही हैं। इन्हीं शक्तियों के दम पर सिरिसेना चाहें तो जीतने के बावजूद राजपक्षे को प्रधानमंत्री नहीं बनने दे सकते हैं। वैसे विक्रमसिंघे और सिरिसेना ने इन चुनावों को निष्पक्ष बनाने की पूरी कोशिश की है। राजपक्षे के कार्यकाल में देश के चुनाव आयोग की जो शक्तियां छीन ली गई थीं इन दोनों नेताओं ने वह सारी फिर से बहाल कर दी है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरी सख्ती अख्तियार की है।

श्रीलंका में सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ। चुनाव पर नजर रख रहे संगठनों ने बताया कि राजधानी कोलंबो में मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारें नजर आयी। बाहरी जिलों में मतदान के प्रति जबरदस्त उत्साह दिखा। चुनाव पर्यवेक्षकों का कहना है कि उत्तरी तमिल क्षेत्र में 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हो सकता है। राष्ट्रपति सिरिसेना ने उत्तरी मध्य शहर पोलोन्नारूवा में मतदान किया जबकि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कोलंबो में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और चुनावों में जीत का भरोसा जताया। पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र हबनतोता में मतदान किया। 69 वर्षीय राजपक्षे ने कहा, हम जीत रहे हैं और मैं सरकार बनाने के लिए आश्वस्त हूं।

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जिला आधारित आनुपातिक प्रतिनिधित्व तंत्र के तहत चुनाव में मतदान के लिए 1.5 करोड़ से ज्यादा वोटर हैं। जिले से 196 सदस्य निर्वाचित होंगे जबकि 29 का चयन प्रत्येक पार्टी को मिले वोटों के राष्ट्रीय अनुपात पर आधारित होगा। बहुमत वाली सरकार को नेशनल एसेंबली में 113 सीटों की जरूरत होगी।

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TAGS: श्रीलंका, संसदीय चुनाव, महिंदा राजपक्षे, मैत्रीपाल सिरिसेना, रानिल विक्रमसिंघे, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति
OUTLOOK 17 August, 2015
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