माओ की तरह संविधान में होगा शी का नाम
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम और उनके विचारों को देश के संविधान में शामिल किया जाएगा। सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की 19वीं कांग्रेस में इसके लिए संविधान में संशोधन का फैसला किया गया। सीपीसी के संस्थापक माओत्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी डेंग जियाओपिंग के जमाने में भी ऐसा हुआ था। पूर्व नेता हू जिंताओ और जियांग जेमिन ने भी अपने विचारों को संविधान में शामिल किया था, लेकिन उनके नाम शामिल नहीं किए गए थे।
एक सप्ताह चलने वाली कांग्रेस 18 अक्टूबर से शुरू हुई थी। इस बैठक से शी की शक्तियां माओ के बराबर होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। बैठक के आखिरी दिन मंगलवार को कांग्रेस ने 64 वर्षीय शी को पांच साल का दूसरा कार्यकाल देने पर मुहर लगाई। प्रधानमंत्री ली केकियांग भी अगले पांच साल तक बने रहेंगे। दोनों नेताओं ने 2012 में देश की बागडोर संभाली थी।
देश पर शासन करने वाली सात सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी के पांच नए सदस्यों का ऐलान बुधवार को किया जाएगा। माओ की तरह कोर लीडर का दर्जा हासिल कर चुके शी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों की संख्या घटाकर पांच करना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी यह बात नहीं मानी। हालांकि स्टैंडिंग कमेटी में उनके कुछ करीबी सहयोगियों को जगह मिल सकती है। माना जा रहा है कि पार्टी के विभिन्न गुटों के बीच अधिकारों का संतुलन बनाए रखने को लेकर स्टैंडिंग कमेटी में बदलाव की बात प्रतिनिधियों ने नहीं मानी।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शी के करीबी सहयोगी और भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का नेतृत्व करने वाले वांग किशान को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। पहले अटकलें थीं कि 68 साल में सेवानिवृत्ति संबंधी नियम को दरकिनार कर 69 वर्षीय वांग को एक और कार्यकाल दिया जा सकता है। ऐसा होने पर शी के लिए भी तीसरे कार्यकाल का रास्ता साफ हो जाता।
साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार शी की राजनीतिक विचारधारा भी जल्द ही स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी। इससे एक परिवर्तनकारी नेता के रूप में उनकी छवि मजबूत होगी और बच्चों में राष्ट्रवाद बढ़ाने में मदद मिलेगी। शी की विचारधारा 5वीं या छठी कक्षा में पढ़ाए जाने की संभावना है।