रवीन्द्र का की ख्याति एक उपन्यासकार, कहानीकार के अलावा बहुत अच्छे चुस्त संपादक के रूप में थी। उन्होंने एक पूरी साहित्य जगत में एक पूरी पीढ़ी खड़ी की। उनके प्रोत्साहन से कई लोगों के लिखने की ऊर्जा मिली और अब वे बिरवे मजबूत दरख्त बन कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
भारतीय ज्ञापनीठ की पत्रिका नया ज्ञानोदय के अलावा वह भारतीय भाषा परिषद की पत्रिका वागर्थ के भी संपादक रहे। 11 नवंबर 1939 को जालंधर में जन्में रवीन्द्र कालिया ने धर्मयुग से अपनी पारी शुरू की थी। उनकी कई कहानियां चर्चित हैं। नौ साल छोटी बीवी, खोटे सिक्के, त्रास ऐसी कहानियां हैं जो पाठकों के दिलो-दिमाग पर हमेशा छाई रहेंगी।
उनके चर्चित उपन्यासों में, खुदा सही सलामत है, एबीसीडी और 17 रानाडे रोड हैं। हाल ही में उनका आत्मकथ्यात्मक लेखन गालिब छुटी शराब बहुत चर्चित हुआ था। उनकी पत्नी ममता कालिया भी चर्चित कथाकार हैं। कालिया जी लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे।