बिहार विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट रूप से नजर आया। एनडीए गठबंधन एकतरफा बढ़त की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य और केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का संयुक्त प्रभाव तो महत्वपूर्ण रहा ही, लेकिन उससे भी अधिक असरदार प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में बार-बार दोहराया गया “जंगल राज” का नैरेटिव रहा, जिसे राजद शासन के संदर्भ में मजबूती से पेश किया गया।
प्रधानमंत्री ने बिहार में 13 रैलियों को संबोधित किया और पटना में एक बड़ा रोड शो किया। इन आयोजनों में उन्होंने बिहारी गौरव, स्थानीय परंपराओं—विशेषकर छठ पूजा—का उल्लेख किया और राजद-कांग्रेस गठबंधन पर “घुसपैठियों के प्रति नरम रुख” तथा “सत्ता में रहते हुए जनता के पैसे से मुनाफाखोरी” का आरोप लगाया।
चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी नियमित रूप से एनडीए घटक दलों से संवाद करते रहे। उम्मीदवारों के चयन के बाद उठे विवादों को दूर कर उन्होंने गठबंधन की एकता का संदेश दिया।
मोदी की रैलियों का एक प्रमुख तत्व था—लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के नेतृत्व वाले राजद शासन की याद दिलाना। उन्होंने खास तौर पर युवा मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश की कि तेजस्वी यादव के वादों में आने से पहले वे अपने घर के बुजुर्गों से “जंगल राज के दौर” के बारे में जान लें। मोदी ने कहा कि युवा पीढ़ी ने लंबे समय से केवल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में देखा है, इसलिए अतीत की परिस्थितियों को समझना जरूरी है।
छठ पर्व—जिसे चुनाव के पहले चरण (6 नवंबर) से ठीक पहले पूरे राज्य में मनाया गया—भी भाजपा के प्रचार का एक प्रमुख सांस्कृतिक प्रतीक बना। एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि “कांग्रेस के नामदार छठी मैया की भक्ति को ‘ड्रामा’ बताते हैं,” और आरोप लगाया कि इससे दलितों और पिछड़े वर्गों के प्रति उनकी मानसिकता झलकती है।
चुनावी अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 24 अक्टूबर को समस्तीपुर से की, जो समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर का जन्मस्थान है और जिन्हें हाल ही में एनडीए सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया है।
इसके बाद 30 अक्टूबर को उन्होंने मुजफ्फरपुर और छपरा में जनसभाएं कीं। 3 नवंबर को कटिहार और सहरसा, 6 नवंबर को भागलपुर और अररिया, 7 नवंबर को भभुआ और औरंगाबाद, तथा 8 नवंबर को बेतिया और सीतामढ़ी में उनकी रैलियां हुईं।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के जरिए कार्यकर्ताओं से संवाद किया और उनसे कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य के प्रत्येक नागरिक तक केंद्र और राज्य की योजनाओं की जानकारी पहुंचे।
बिहार ने पिछले कई चुनावों—2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव, तथा 2020 और 2025 के विधानसभा चुनाव—में बड़े पैमाने पर मोदी को समर्थन दिया है। इस बार भी यही राजनीतिक रुझान दिखाई दे रहा है।