वन आधारित अर्थव्यस्था बढ़ाने के लिए बनेगी रणनीतिः डा. सविता
बीआईपीपी की चार सदस्यीय टीम ने इस संदर्भ में प्रधान मुख्य संरक्षक(वन) डा. सविता के साथ बैठक की।
डा. सविता के अनुसार ग्रामीण समुदायों के काफी लोग वनों से प्राप्त औषाधीय पौधों, जड़ी-बूटियों तथा अन्य वन उपज बिक्री पर निर्भर रहते हैं।
ऐसे बहुत से वन उत्पादों को वे कम दामों पर बेच देते हैं, जबकि उद्योग उनका उपयोग हर्बल दवाओं इत्यादि में कच्चे माल के तौर पर उपयोग करता है।
उन्हाेंने कहा कि स्थानीय लोग, सरकारी एजेंसियां और व्यवसायियों के साथ मिल कर अपनी आजीविका को बढ़ाने के साथ वनों को संरक्षित रखने में सहयोग दे सकते हैं।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वन आजीविका सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण आदि लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं में तालमेल तथा व्यापार को संतुलित करना महत्वपूर्ण है।
बीआईपीपी वन उत्पाद उत्पादन, सतत् निष्कासन और बिक्री के डाटा संकलित करेगा तथा वन विभाग के सहयोग से वन्य औषधियों, जड़ी-बूटी के संग्रह, खरीद, मूल्य संवर्धन, विपणन और उद्योगों की स्थापना की विकेंद्रीकृत प्रणाली के लिए एक प्रारूप तैयार करेगा।
बीआईपीपी की टीम इस संदर्भ में सर्वप्रथम पायलट आधार पर प्रमुख उत्पादों के क्षेत्रों की मैपिंग कर रणनीति को वन विभाग के साथ साझा करेगा।
सं.रमेश1653वार्ता