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आजादी विशेष | इस राष्ट्र का कोई धर्म नहीं है!

आजादी विशेष | इस राष्ट्र का कोई धर्म नहीं है!

भारत राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर केंद्र की मौजूदा सरकार यह कहकर सवाल खड़ी कर रही है कि संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्षता’ और 'समाजवाद’ जैसे शब्दों को हटा देना चाहिए। इस बहस से हालांकि सरकार को मजबूरन अपने कदम पीछे खींचने पड़े लेकिन यह मान लेना एक बड़ी भूल होगी कि यह विवाद ठंडा पड़ चुका है।
चिकित्सकों की गैरहाजिरी कोई नई बात नहीं

चिकित्सकों की गैरहाजिरी कोई नई बात नहीं

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहितियां में सुबह के दस बजे पहुंचने पर पता चला कि अस्पताल बंद है। क्योंकि न तो अस्पताल में डाॅक्टर पहुंचे और न ही कंपाउडर। कोई सहायक भी नहीं है जो यह बता पाए कि डाॅक्टर कब आएंगे और अस्पताल कब खुलेगा।
इस बंगाली शॉर्ट फिल्‍म का हर कोई दीवाना क्‍यों?

इस बंगाली शॉर्ट फिल्‍म का हर कोई दीवाना क्‍यों?

कहानी फिल्म के निर्देशक सुजॉय घोष की 14 मिनट की शॉर्ट फिल्म अहिल्या की धूम मची हुई है। यू ट्यूब पर इसके लाखों लाइक्स और शेयर हैं। मात्र 14 मिनट की अवधि में सुजॉय ने ऐसा क्या रच दिया कि लोग इतने दीवाने हो गए हैं।
श्रम कानूनों में सुधार पर अडिग हैं मोदी

श्रम कानूनों में सुधार पर अडिग हैं मोदी

श्रम कानूनों में सुधार के प्रस्तावों पर श्रम संगठनों के कड़े विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि श्रम कानूनों में जरूरी सुधार किए जाएंगे मगर ये सुधार श्रम संगठनों के परामर्श और उनकी सहमति से ही होंगे। प्रधानमंत्री ने यहां 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
सर्वदलीय बैठक में नहीं निकला कोई नतीजा

सर्वदलीय बैठक में नहीं निकला कोई नतीजा

संसद सत्र सुचारू रूप से चले इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष और संसदीय कार्यमंत्री की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है, इसके अलावा ललित मोदी और व्यापमं घोटाले को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की लेकिन सरकार की ओर से इसका कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान सरकार को घेरने की तैयारी पूरी कर ली है।
'पहल' का कोई गुट नहीं रहा - ज्ञानरंजन

'पहल' का कोई गुट नहीं रहा - ज्ञानरंजन

आजादी के बाद हिंदी साहित्य में जिन पत्रिकाओं ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई उनमें 'पहल' का नाम उल्लेखनीय है। यह पत्रिका अपने वैचारिक तेवर और प्रतिबद्धता के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। हिंदी की इस चर्चित पत्रिका ने प्रकाशन के चालीस साल पूरे कर लिए हैं। इस पत्रिका ने देश के चार दशकों के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन और इतिहास को भी समेटा है। हाल ही में इसका सौवां अंक आया। इस मौके पर जबलपुर में एक समारोह भी आयोजित किया गया।
ग्रीस को मिलेगा बेलआउट, यूरोजोन के साथ हुआ समझौता

ग्रीस को मिलेगा बेलआउट, यूरोजोन के साथ हुआ समझौता

यूरोपीय देश आर्थिक संकट से जूझ रहे यूनान को राहत पैकेज देने पर तैयार हो गए हैं। ब्रसेल्‍स में करीब 17 घंटे तक चली शिखर वार्ता के बाद यूरोपीय संघ और यूनान के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन गई है। पिछले पांच साल में यूनान को मिलने वाला यह तीसरा राहत पैकेज होगा, जिसके साथ कई कठोर शर्ते भी माननी होंगी।
जीएसटी बिल और सुषमा-राजे पर कोई सौदा नहींः कांग्रेस

जीएसटी बिल और सुषमा-राजे पर कोई सौदा नहींः कांग्रेस

कांग्रेस ने इन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है कि संसद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित करने का रास्ता साफ करने के लिए उसका भारतीय जनता पार्टी या सरकार से कोई सौदा हुआ है।
इश्क वाकई में न्यूज नहीं

इश्क वाकई में न्यूज नहीं

फेसबुक फिक्शन श्रृंखला की दूसरी किताब इश्क कोई न्यूज नहीं को पाठकों के बीच लाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस पुस्तक का प्रोमो लंदन में आयोजित एक कार्यशाला के बाद अनौपचारिक रूप से लांच किया गया।
कोई है, जो सुन रहा है

कोई है, जो सुन रहा है

‘कितने कठघरे’ रजनी गुप्त की नवीनतम पुस्तक है। यह विचलित कर देने वाली पुस्तक है। वस्तुतः यह पुस्तक है ही नहीं, मार्मिक गुहार है। कोई है, जो सुन रहा है ? इसको पढ़ते-पढ़ते अपने निजी घावों के टांके खुलने लगते हैं। न जाने कितने चेहरे हैं जो न्याय मांगने हमारे सामने आ खड़े होते हैं - शंकर गुहा नियोगी, सोनी सोरी, डॉ. विनायक चटर्जी - और वह पत्रकार, जो स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता के आश्वासन पर बस्तर गया था, उसकी हत्या ? ये कुछ नाम हैं, हजारों ऐसे नाम होंगे जो अब याद नहीं।