बिहार के गया जिला के डुमरिया थानांतर्गत प्रखंड के हुरमेठ गांव के एक ग्रामीण को उसके घर से अगवाकर काचर गांव के समीप ले जाकर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान नक्सलियों ने सुकमा जिले में लगभग 500 ग्रामीणों को अगवा कर लिया है। लेकिन इस घटना पर परस्पर विरोधी दावे सामने आ रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों की मदद के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। फसलों को हुए नुकसान के सर्वे की रस्म अदायगी भी जारी है। लेकिन मेहनत की कमाई लुटा चुके किसानों के हाथ से मुआवजा अभी दूर है। दरअसल, फसलों के बीमा और मुआवजे की प्रक्रिया में इतने झोल हैं कि किसान तक सिर्फ आश्वासन ही पहुंच पाते हैं।
23 अप्रैल 2015 को दौसा के गजेंद्र सिंह के रूप में देश के हाहाकार ने जंतर-मंतर पर दम तोड़ दिया। उसकी चीखती खामोशी को सत्ता और मीडिया की धडक़नों में एक और हाहाकार के रूप में धड़कना चाहिए था।
आम आदमी पार्टी की किसान रैली में आत्महत्या करने वाले गजेंद्र सिंह की मौत पर पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा, उस समय रैली जारी रखना मेरी गलती थी और मैं सबसे माफी मांगता हूं। इस मामले की पुलिस और मजिस्ट्रेट जांच चल रही है और जो भी इसका दोषी हो, उसे चाहे फांसी पर लटका दो। लेकिन बहस इसी पर केंद्रित होनी चाहिए कि किसान खुदकुशी क्यों कर रहे हैं।
ये आंकड़ा हर किसी को पता है कि इस देश में 1995 से अब तक साढ़े तीन लाख किसानों-खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। दैनिक औसत निकालें तो 50 लोग हर रोज जान दे रहे हैं। 20 साल में देश की सत्ता और सिस्टम इन मौतों के जिम्मेदारों की शिनाख्त नहीं कर पा रही है। चूंकि, शिनाख्त नहीं हुई इसलिए आगे की कार्रवाई की भी जरूरत नहीं। एक खेल चल रहा है जिसमें राजनीतिक दल एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं। उनका ध्यान समस्या ओर उसके समाधान पर नहीं है, बल्कि खुद को दूसरों से उजला, ईमानदार और संवेदनशील दिखाने पर है। ऐसे में कोई गजेंद्र मरे तो मरता रहे, उनकी बला से।
नई दिल्ली। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार झेल रहे किसानों पर इस साल दोहरी मार पड़ने जा रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल मानसून सामान्य से 7 फीसदी कम रहेगा। मानसून पर अल नीनो का खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते बारिश का इंतजार लंबा खिंच सकता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देश में सामान्य से 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। गौरतलब है कि भारत में 70 फीसदी बारिश मानसून सीजन के दौरान पड़ती है।
मध्य प्रदेश के महान जंगल इलाके के अमिलिया में महान संघर्ष समिति ने लोकतंत्र महोत्सव मनाया। इस मौके पर ग्रामीणों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विशाल जनसभा की और भूमि अधिग्रहण विधेयक की प्रतियां फाड़ीं। सभा में सरकार की तरफ से महान जंगल को कोयला खदान के लिये आंवटित नहीं करने के निर्णय को लोकतंत्र की जीत बताया गया।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंन्द्र सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्षी पार्टियों के साथ आम सहमति बनाने की एक और कोशिश कर सकती है और फिर से अध्यादेश भी जारी कर सकती है।
महाराष्ट्र के पूणे में अट्ठावन साल के एक आइएएस अधिकारी को चार नाबालिग लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यहां पुलिस ने यह जानकारी दी है।