जिंबाब्वे दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों का एलान कर दिया गया है। अजिंक्य रहाणे को कप्तान बनाया गया है जबकि हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा की टीम में वापसी हुई है। मजे की बात है कि टीम के दो वरिष्ठ खिलाड़ियों महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली को आराम दिया गया है।
बांग्लादेश से लगातार दूसरा एकदिवसीय मैच और पहली बार शृंखला हारने के बाद भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में साफ संकेत दिए कि वह एकदिवसीय टीम की कप्तानी भी छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की हार के लिए यदि वह जिम्मेदार हैं तो वह भविष्य में कप्तानी किए बगैर टीम के लिए खेल सकते हैं।
जो न बदले वह फैशन ही क्या। पल-पल बदलती शैली ही फैशन की असली ताकत है। खादी आजादी की लड़ाई के वक्त से जनता के बीच लोकप्रिय है। पर इसे जनप्रिय बनाने के लिए समय-समय पर बदलाव करने पड़ते हैं। फैशन के इस दौर में खादी भी निखर रही है, संवर रही है।
बांग्लादेश के खिलाफ बुधवार को पहले एक दिवसीय क्रिकेट मैच में मेजबान तेज गेंदबाज मुस्ताफिजुर रहमान को कथित रूप से धक्का देने के मामले में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर आज मैच फीस का 75 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया।
उच्च शिक्षा या शिक्षा मात्र विचारहीनता के संकट से गुजर रही है। अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को फरमान जारी किया है कि वे चयन आधारित क्रेडिट व्यवस्था वाले पाठ्यक्रम 2015-16 से लागू करें। यह एक असाधारण आदेश है। विश्वविद्यालयों में क्या पढ़ाया जाएगा, क्या नहीं, यह तय करना आयोग के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है। फिर भी, न सिर्फ उसने यह हुक्म जारी किया है, बल्कि अपने वेबसाईट पर उसने अनेक विषयों के पाठ्यक्रम बनाकर लगा भी दिए हैं। विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे इन्हें तुरंत लागू करें। इनमें बीस प्रतिशत की हेर-फेर करने की छूट उन्हें है। यह अभूतपूर्व है और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में सीधा हस्तक्षेप है। मज़ा यह है कि आयोग यह नहीं बता रहा कि आखिर ये पाठ्यक्रम तैयार किन्होंने किए हैं! स्वाभाविक है कि उसके इस कदम का शिक्षकों की ओर से कड़ा विरोध हो रहा है।
दस जून से शुरू होने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के बांग्लादेश दौरे के लिए टेस्ट और वन डे टीमों की घोषणा कर दी गई है। महेंद्र सिंह धोनी को वन डे टीम का जबकि विराट कोहली को टेस्ट टीम का कप्तान बरकरार रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर उसकी पूरब की ओर देखों यानी लुक ईस्ट नीति पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमने इसे बहुत देख लिया और अब वक्त है पूरब पर काम करने यानी एक्ट ईस्ट का।
मोदी ने लुक ईस्ट नीति पर पिछली सरकारों की खिंचाई करते हुए कहा कि हम ने पूरब की ओर बहुत देख लिया, अब इस पर काम करने का समय है। गौरतलब है कि 'लुक ईस्ट' नीति को वाजपेयी सरकार ने प्रमुखता से आगे बढ़ाया था।