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Search Result : "Rajasthan politics"

भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
भूमि विधेयक पर नीति आयोग राजनीति की काली छाया

भूमि विधेयक पर नीति आयोग राजनीति की काली छाया

मानसून पूर्व नीति आयोग की राजनीति से लोकसभा के मानूसन सत्र और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर घनघोर काली घटाएं मंडराने लगी हैं। मतलब लोकसभा में गर्जन-तर्जन होगा, बिजली कड़केगी, विपक्ष की बौछार तेज पड़ेे और संसद बाधित होती। 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और इस सत्र से पहले नीति आयोग की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
35 साल के व्यक्ति ने 6 साल की बच्ची से विवाह रचाया

35 साल के व्यक्ति ने 6 साल की बच्ची से विवाह रचाया

बाल विवाह के खिलाफ कानून चाहे कठोर बन गया हो लेकिन उसे कठोरता से लागू नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि देश में बाल विवाह रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
डायन कानून के बावजूद ज्‍यादती की शिकार महिलाएं

डायन कानून के बावजूद ज्‍यादती की शिकार महिलाएं

राजस्थान में महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने की घटनाओं को रोकने के लिए कानून तो बन गया। लेकिन यह कानून अब तक जमीन पर नहीं उतरा है। पुलिस इस कानून से बेखबर है और औरत पर सितम ढाने वाले बेखौफ।
छठा माउंटेन ईको उत्सव

छठा माउंटेन ईको उत्सव

ठंडी हवाएं, हवा में फड़फड़ाते झंडे, पहाड़ों का सौंदर्य और किताबें। एक खूबसूरत जगह पर किताबों या साहित्य के बारे में चर्चा करना कितना सुखद हो सकता है इसके लिए 19 अगस्त से 22 अगस्त के बीच माइउंटेन ईको लिटरेरी फेस्टिवल का हिस्सा बन कर ही इसका अहसास किया जा सकता है।
ग्रामीण राजस्थान में कन्या भ्रूण हत्या में कमी का दावा

ग्रामीण राजस्थान में कन्या भ्रूण हत्या में कमी का दावा

राजस्थान के जयपुर औऱ जोधपुर के छह जिलों में पंचायतों के साथ मिल कर चलाए जा रहे सीफार संस्था के प्रयासों से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान का दिख रहा असर
शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

1985 तक शिवसेना केवल मुंबई तक ही सीमित थी। महाराष्ट्र में इसके प्रसार का श्रेय छगन भुजबल को जाता है। शरद पवार 1986 में अपने कांग्रेस विरोधी समूह को सकते में छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वजह से बने खाली स्थान को शिवसेना ने भरा। आज भी मुंबई की शिवसेना और बाकी महाराष्ट्र की शिवसेना में अंतर है।
बिहार से निकलेगी दिल्‍ली की राह?

बिहार से निकलेगी दिल्‍ली की राह?

पुरानी राजनीति में पगे पर्यवेक्षक बार-बार पूछ रहे हैं कि लालू प्रसाद अपने अहम और जनाधार की आशंकाओं को ताक पर रखकर नीतीश के नाम पर राजी कैसे हो गए। लालू के निजी हावभाव भरमाने वाले भले रहे हों, सार्वजनिक तौर पर उनके वक्तव्य पिछले लोकसभा चुनावों में हार के बाद पिछले उपचुनावों के वक्त से ही भाजपा विरोधी संयुक्त मोर्चे के लिए प्रतिबद्धता के रहे हैं।
आतंकी मामलों में बचाव वकील बने तो गोली मारेंगे

आतंकी मामलों में बचाव वकील बने तो गोली मारेंगे

दिल्ली के वरिष्ठ वकील महमूद पराचा ने आरोप लगाया है कि आतंकवाद विरोधी दस्ते यानि एटीएस के सीआई दिनेश शर्मा ने आतंकी मामलों में बचाव पक्ष के वकील बनने पर उन्हें बीती 11 जून को राजस्थान जिला न्यायालय के बाहर गोली से मारने की धमकी दी है। कई जनसंगठनों के अनुसार यह धमकी बताती है कि राजस्थान में लोकतंत्र किस रूप में बहाल है।
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