कांग्रेस को साथ लेकर वाममोर्चा बंगाल में राजनीतिक जमीन `पुनर्दखल’ करने में जुट गई है। इस कारण सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के कार्यकर्ताओं के बीच तनाव बढ़ने लगा है।
तमाम प्रशासनिक उपायों और सुरक्षा चौकसी के बावजूद बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव के दौरान हिंसा और बोगस वोटिंग की आशंका बनी हुई है। खासकर, बंगाल को लेकर सिरदर्द ज्यादा है। बंगाल में बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश से असामाजिक तत्वों को राजनीतिक पार्टियों द्वारा बुलाए जाने की खबरें आई हैं। बंगाल के गांवों में राजनीतिक हिंसा बढ़ने लगी है।
मतदाता प्रतिशत बढ़ाने के लिए और ईमानदार मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल में धुआंधार प्रचार कर रहा है। इस प्रचार अभियान के तहत आयोग का प्रमुख ध्यान महिला और युवा मतदाताओं पर है।
असम से लौटते हुए खड़गपुर में 27 मार्च को जनसभा और फिर 17 अप्रैल को कोलकाता में एक केन्द्रीय सभा। बंगाल की 294 विधानसभा सीटों को सिर्फ दो जनसभाओं के जरिए संबोधित करेंगे भाजपा के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी। जबकि, लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में नरेन्द्र मोदी की सात जनसभाएं कराए गई थीं। इस बार मोदी के शेड्यूल को बंगाल में भाजपा की घटती रुचि का एक और संकेतक माना जा रहा है। कुछ समय पहले नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की दर्जन भर जनसभाएं कराने की तैयारी चल रही थी।
कर्मचारियों के लिए छह फीसद महंगाई भत्ते (डीए) की किश्त की घोषणा कर केन्द्र सरकार ने चुनावी राज्यों वाली सरकारों पर दबाव बना दिया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केन्द्र की मोदी सरकार की घोषणा से बौखलाई बताई जा रही हैं, क्योंकि वहां सरकारी कर्मचारियों के स्तर पर चुनौतियां ज्यादा हैं। बंगाल सरकार के कर्मचारियों तनख्वाह केन्द्र से अब 54 फीसद कम हो गई है। अब ममता बनर्जी राज्य सरकार के कर्मचारियों को खुश करने का रास्ता ढूंढ रही हैं। यही हाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में भी है। हालांकि, इन राज्यों में तनख्वाहें छह से 12 फीसद ही कम हैं। इसलिए, कर्मचारियों की नाराजगी की चिंता नेताओं को कम है।
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार से नई दिल्ली में शुरू हो गई। रविवार तक चलने वाली इस कार्यकारिणी में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।
वाममोर्चा-कांग्रेस गठजोड़ को लेकर अब सोनिया गांधी भी सामने आ गई हैं। उन्होंने बंगाल कांग्रेस की हेवीवेट नेता दीपा दासमुंशी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने को कहा है। दीपा दासमुंशी को सोनिया गांधी ने इसी बारे में बात करने दिल्ली तलब किया था। सूत्रों के अनुसार, उन्हें विपक्षी गठबंधन के ओर से माकपा नेता सूर्यकांत मिश्र के साथ प्रोजेक्ट किया जा सकता है।