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01 February 2016

फारूख ढोंढी ने बताया, चंपी कैसे बना शैंपू

ढोंडी इस किताब के जरिये शब्दों के निर्माण से जुड़ी एक अनोखी दुनिया में लेकर चलते हैं। शब्दों की उत्पत्ति, उनके एक भाषा से दूसरी भाषा तक के सफर और उनसे जुड़ी कई रोचक कहानियों को उन्होंने अपनी इस किताब में परोसा है।

हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में भारतीय और विदेशी शब्दों की आपस में हुई अदला-बदली, उनकी उत्पत्ति और समय के साथ उनके अर्थ में आते बदलावों की कई कहानियां हैं।

उदाहरण के तौर पर कभी जॉनी वॉकर के तेल मालिश गाने की पहचान रहा चंपी शब्द अंग्रेजी में जाकर शैंपू कैसे बन जाता है। पारसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले ढोंडी जहां इस शब्द की पूरी यात्रा का वृत्तांत बताते हैं वहीं कैसे पारसी समुदाय के कुछ शब्द मौजूदा दौर में इस समुदाय के उपनाम बन गए इसका लेखा जोखा भी वह देते हैं।

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ऐसे ही दिल्ली में आम भाषा में बोला जाने वाला तकिया कलाम ऐ यार शट अप में शट अप अंग्रेजी में जहां चुप रहो के अर्थ में प्रयुक्त होता है वहीं ऐ यार दिल्ली में अति आश्चर्य को प्रकट करने की अभिव्यक्ति है। चुप रहो जैसे कर्कश अंदाज में इसका प्रयोग पश्चिमी देश में होता है।

ऐसे ही भारत में प्रयोग होने वाला शब्द कमीज फ्रेंच भाषा में शमीज बन जाता है जो कि महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक ढीला-ढाला अंतर्वस्त्र है। कमीज की जड़ें उर्दू और अरबी भाषाओं से जुड़ी है।

ढोंडी अपनी किताब में सिर्फ शब्दों के प्रभाव और उनके विचरण की बात नहीं करते। बल्कि वह यह भी बताते हैं कि कैसे संस्कृतियां, आदतें, रहन-सहन और मौसम एवं सरजमीं के प्रभाव शब्दों के निर्माण और उनके अर्थ को विभिन्न स्वरूप प्रदान करते हैं इस बारे में भी वर्ड्स में काफी गहराई के साथ बात की गई है।

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TAGS: farrukh dhondy, words, harper collins, फारुख ढोंढी, वर्ड्स, हार्पर कॉलिंस
OUTLOOK 01 February, 2016
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