मिसिंग पर्सन पुस्तक हिंदी में
नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक पाट्रिक मोदियानो ने अपने उपन्यास ‘मिसिंग पर्सन’ को 1978 में लिखा था। इसका हिंदी अनुवाद ‘मैं गुमशुदा’ शीर्षक से हाल ही में राजपाल एंड संस से छपकर आया है। मोनिका सिंह द्वारा अनूदित इस उपन्यास में कहानी है एक प्राइवेट जासूस एजेंसी में आठ वर्षों से काम कर रहे जासूस गी रोलां की। कुछ वर्ष पहले इस एजेंसी के मालिक सी ऍम हयूटे से रोलां की मुलाकात होती है। वह रोलां के अतीत की विस्मृति को जान कर न केवल उसे नई पहचान देते हैं, बल्कि उसे अपनी एजेंसी में जासूस के तौर पर काम करने का अवसर भी प्रदान करते हैं।
यह काम करते हुए भी रोलां के मन में बार-बार अपने अतीत को जानने की हूक उठती है और वह बेचैन हो जाता है। इस तरह वह अपनी धुंधली सी यादों और कुछ सूत्रों के जरिये अपने अतीत को तलाशने निकल पड़ता है। अपने अतीत को तलाशने की इस यात्रा में बेहद अनूठी और तमाम अनपेक्षित पात्रों- घटनाओं से रोलां की मुलाकात होती है। उसे कई ऐसे पात्र मिलते हैं जो खुद अपने जीवन की उलझनों में उलझे हैं। पेरिस से शुरू हुई रोलां की यह यात्रा प्रशांत महासागर के द्वीप में समाप्त होती है। उपन्यास में मानवीय संबंधों, संवेदनाओं को लेखक ने बहुत गहनता से अनुभव करते हुए शब्द दिए हैं। व्यक्ति, स्थान, स्थितियों और मनोदशा का चित्रण भी लेखक ने सूक्ष्मता से किया है। अतीत की छोटी-छोटी बातें रोलां के लिए कितना महत्त्व रखती हैं, इसका अनुभव शिद्दत से किया जा सकता है। इस बात के लिए लेखक को दाद देनी चाहिए कि वह अपने वजूद की तलाश में भटकते किसी व्यक्ति के मन में होने वाले तमाम अंर्तद्वंद्वों को उन्होंने बहुत प्रभावी ढंग से बयान किया है। एक अंतर्मुखी व्यक्ति के स्वयं को खोजने की यह कथा निश्चित ही नई अनुभूती देने वाली है।
पुस्तक - मैं गुमशुदा
लेखक - पाट्रिक मोदियानो
अनुवाद - मोनिका सिंह
मूल्य – 245 रुपये
प्रकाशक - राजपाल एंड संस, दिल्ली