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23 March 2015

सेबी ने नगर पालिका बांड, आइफएससी नियमों को मंजूरी दी

सेबी ने बैंकों के लिए कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों का अधिग्रहण करने और उनका प्रबंध अपने हाथ में लेने का रास्ता भी आसान कर दिया है। नियामक ने शेयरों का भेदिया कारोबार की संभावनाओं को रोकने के नियम भी सख्त किए हैं। इसके अलावा बाजार नियामक ने कहा है कि नये वित्त वर्ष में वह स्टार्ट अप कंपनियों के आईपीओ और क्राउडसोर्सिंग के जरिए पूंजी जुटाने के बारे में नए दिशा निर्देश लाए जाएंगे। साथ ही सेबी नियमों को लागू कराने के लिए अपनी प्रक्रिया को भी मजबूत और चौकस करेगा।

सेबी ने कहा कि वह निवेशकों से संपर्क के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल की संभावनाओं का उपयोग करना चाहेगा और निवेशकों के लिए इलेक्ट्रानिक आईपीओ और आधार संख्या पर आधारित इलेक्ट्रानिक केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) की सुविधा देने पर विचार करेगा। आम बजट के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली के साथ अपनी परंपरागत बैठक में सेबी के निदेशक मंडल ने सरकार से अनुरोध किया कि वह पेंशन कोष के पैसे को पूंजी बाजार में लगाने की अनुमति दे।

बैठक में वित्त मंत्री से यह भी अपील की गई कि हाल में घोषित निवेश के नए माध्यम रेईट (रीयल एस्टेट निवेश न्यास) को देश में फलने-फूलने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाए। वित्त मंत्री जेटली ने इस बैठक में अर्थव्यवस्था और पूंजी बाजार की स्थिति की समीक्षा की और बजट से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तावों की व्याख्या भी की। उन्होंने वायदा बाजार आयोग को सेबी में मिलाकर प्रतिभूति एवं वायदा बाजार के लिए एकीकृत नियामक की प्रस्तावित व्यवस्था के लिए क्षमता निर्माण तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता के बारे में भी चर्चा की।

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सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने कहा कि निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि कंपनियां अपने निदेशक मंडल के निर्णयों को 30 मिनट के अंदर सार्वजनिक करें। अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं को भी 24 घंटे के अंदर सावजनिक करना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़े दंड की कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल के इस प्रस्ताव के मसौदे में कंपनियों को फैसला सार्वजनिक करने के लिए 15 मिनट का समय देने का प्रस्ताव किया गया था।

सिन्हा ने कहा कि सेबी सूचीबद्ध कंपनियों की ओर से सूचनाओं के सार्वजनिक प्रकाशन संबंधी नियमों के अनुपालन की बारीकी से निगरानी कर रहा है। दुबई और सिंगापुर की तरह भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) के गठन का रास्ता साफ करते हुए सेबी ने इस तरह के केंद्रों में शेयर व पूंजी बाजार की अन्य अवसंरचनात्म‍क सुविधाएं स्थापित करने के संबंध में नए उदार नियमों को मंजूरी दी। ऐसा पहला केंद्र गुजरात की गिफ्ट सिटी में स्थापित किया जाएगा।

सिन्हा ने कहा कि नए आईएफएससी दिशानिर्देशों से ऐसे केंद्रों पर गतिशील पूंजी बाजार गतिविधियों में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, शेयर बाजारों व क्लियरिंग निगमों को आईएफएससी में उपक्रम लगाने के लिए रियायत मिलेगी। उदार व्यवस्था के तहत सभी मौजूदा एक्सचेंजों को आईएफएससी में अपनी अनुषंगी स्थापित करने की अनुमति होगी। इससे पहले सुबह वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सेबी बोर्ड की बैठक को संबोधित किया।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि देश का पहला आईएफएससी गुजरात की गिफ्ट सिटी में स्थापित किया जाएगा। शीर्ष एक्सचेंजों बीएसई व एनएसई ने पहले ही वहां अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों की स्थापना के लिए सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए हैं।

ऋण नहीं चुकाने वाली कंपनियों से निपटने में बैंकों का रास्ता आसान बनाने के लिए सेबी ने उनके लिये ऐसी कंपनियों के शेयरों के अधिग्रहण के नियम आसान बनाने का फैसला किया है। इससे आने वाले दिनों में बैंकों के बकाया ऋणों के पुनर्गठन के मामलों में तेजी आ सकती है। सेबी ने नए नियम के तहत ऋण को शेयर में बदलने के मामले में मूल्य निर्धारण का फॉर्मूला संशोधित कर दिया है। इससे बैंक कर्जदार कंपनियों द्वारा ऋण नहीं चुकाए जाने की स्थिति में उनकी बहुलांश हिस्सेदारी ले सकते हैं और उनका प्रबंधन भी अपने हाथ में ले सकते हैं।

दिसंबर के अंत में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की कुल एनपीए (फंसा कर्ज) करीब 3 लाख करोड़ रुपये था। इन बैंकों का केवल 30 कंपनियों पर ही 95,122 करोड़ रुपये का कर्ज था जो वसूल नहीं हो पा रहा था। पहले भी कुछ मामलों में बैंकों ने ऋण के बदले किंगफिशर जैसी कुछ कंपनियों के शेयर हासिल किए हैं लेकिन इन मामलों में तमाम नियामकीय और कानूनी अड़चनें आई थी।

सरकार को स्मार्ट सिटी परियोजना में मदद के लिए पूंजी बाजार नियामक ने शेयर बाजारों में नगर निकायों द्वारा जारी किए जाने वाले बांडों को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध करने और उनके खरीद-फरोख्त के लिए नए नियमों को मंजूरी दी है। इसके अलावा परिवारों के निवेश को भी शहरी ढांचागत विकास के लिए बाजार में लाया जा सकेगा। इस तरह के नगर पालिका बांडों (म्यूनि बांड) के लिए नियमों को मंजूरी के बारे में सिन्हा ने कहा कि इससे विभागों को स्मार्ट सिटी की स्थापना के लिए धन जुटाने में मदद मिलेगी। इसके जरिए आम जनता व संस्थागत निवेशकों से धन जुटाया जा सकेगा।

देश में पहला नगर निकाय बांड 1998 में अहमदाबाद नगर निगम ने जारी किया था। उसके लिए राज्य सरकार कोई गारंटी नहीं दी थी और उससे 100 करोड़ रुपये जुटाये गए थे। उसके बाद से हैदराबाद, नासिक, विशाखापत्तनम, चेन्नई तथा नागपुर के नगर निकायों ने भी ऐसे बांड जारी किए हैं। पर अभी ये बांड शेयर बाजार के जरिये नहीं खरीद-बेचे जा सकते हैं। सोमवार की बैठक में सेबी बोर्ड ने घरेलू म्यूचुअल फंडों के लिए विदेशी निवेशकों द्वारा जुटाए गए कोष (आफशोर पुल्ड ऐसेट्स) के प्रबंध के नियमों में भी ढील दी और उनके मामले में न्यूनतम 20 निवेशक और एक निवेशक के अधिकतम 25 प्रतिशत निवेश की शर्त को हटा दिया।

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TAGS: सेबी, नगर पालिका बांड, आइफएससी, आईपीओ, अरूण जेटली, हैदराबाद, नासिक, चेन्नई, शेयर बाजार, स्मार्ट सिटी, इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी
OUTLOOK 23 March, 2015
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