नौकरी की फिक्र छोड़ कारोबार पर दांव
यह है देश में युवा उद्यमियों की नई पीढ़ी जिसे अपने कौशल और ऑनलाइन क्रांति से पैदा अवसरों पर पूरा भरोसा है। एनआईटी राउरकेला से इंजीनियरिंग और आईआईएम-बेंगलूरू से मैनेजमेंट की पढ़ाई खत्म करने के बाद सीताकांत रे और सुलक्षण कुमार का साथ वहीं खत्म नहीं हुआ। ऑरेकल और इन्फोसिस जैसी कंपनियों में 5-7 साल नौकरी करने के बाद ये दोनों दोबारा मिले। कुछ नया करने के इरादे से। अपना शुरू करने की लगन के साथ। वर्ष 2010 के आसपास की बात है। देश में ऑनलाइन शॉपिंग और ई-कॉमर्स की बात दूर की कौड़ी लगती थी। फिर भी दोनों को पक्का भरोसा था, देर-सबेर भारत में भी दुनिया के बाकी देशों की तरह ई-कॉमर्स की धूम मचेगी। इसी में कुछ करना है। लेकिन उनके पास अपना माल बेचने के लिए न तो निवेश की क्षमता थी और न ही संसाधन। कुछ था तो बस टेक्नोलॉजी का साथ। इस तरह शुरू हुई माईस्मार्टप्राइस.कॉम। कोई सामान ऑनलाइन कहां सस्ता मिलेगा इस तरह की जानकारी देने वाला आज यह देश का प्रमुख पोर्टल है।
मोलभाव में निकले कारोबार के मौके
माईस्मार्टप्राइस.कॉम के सह-संस्थापक और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सीताकांत रे बताते हैं कि हम भारतीय चार जगह रेट जरूर मालूम किए बगैर कोई सामान नहीं खरीदते हैं। इसी में हमें बड़ा मौका दिखाई पड़ा। बाकी राह तकनीक ने आसान कर दी। उन्होंने ऐसा कोड तैयार किया है जो किसी प्रोडक्ट को सर्च करते ही खुद-ब-खुद तमाम वेबसाइटों से उसकी कीमत पता कर लेता है। इस तरह अलग-अलग वेबसाइट खंगाले बिना ही खरीदारों को सबसे सस्ती डील मिल जाती है। वर्ष 2010 में दो कमरे से फ्लैट से शुरू हुई इस कंपनी में आज 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं, जबकि इस साल 100 नए लोगों को भर्ती करने की तैयारी है। पिछले साल उन्होंने करीब 20 करोड़ रुपये की कमाई की है जो इस साल बढ़कर 80 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन का मेल
देश में ऑनलाइन रिटेल का चलन बढ़ने के साथ-साथ एक बात और सामने आई है। कई लोग प्रोडक्ट का दाम तो ऑनलाइन पता करते हैं लेकिन खरीदते हैं स्टोर या शोरूम पर जाकर। कंपनी के निदेशक सुलक्षण कुमार बताते हैं कि इस ट्रेंड को भुनाने के लिए उन्होंने अपने पोर्टल पर ऑनलाइन स्टोर के साथ-साथ ग्राहक के आसपास के शोरूम के दाम बताने भी शुरू कर दिए हैं। हैदराबाद में शुरू हुआ यह प्रयोग काफी कारगर रहा और दिल्ली में ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन स्टोर के दाम बताने शुरू कर दिए हैं। यह काम थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसके लिए पहले स्टोर पर उपलब्ध हरेक सामान का सही दाम जुटाना पड़ता है। इसके अलावा भी सर्च इंजन इसकी तुलना बाकी दूसरे स्टोर और ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल से कर पाएगा। ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल की बढ़ती तादाद, प्रोडक्ट की कीमतों में उतार-चढ़ाव और कंपनियों व रिटेलर की ओर जो दिए जाने वाले नए-नए ऑफर व डिस्काउंट भी कीमतों में तुलना के काम को मुश्किल बनाते हैं। कुमार बताते हैं कि खरीदारों को कौन-सा प्रोडक्ट खरीदना है, कहां से खरीदना है, इसमें जो भी सबसे ज्यादा मदद कर पाएगा, वही उनकी जरूरत बनेगा।