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दिल्ली के प्रगति मैदान में 2 मार्च को 'भारतीय उद्यमिता उत्सव' का आयोजन, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

दिल्ली के प्रगति मैदान में 2 मार्च को 'भारतीय उद्यमिता उत्सव' का आयोजन, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

नई दिल्ली, समाधान समूह और स्वावलंबी भारत अभियान के सहयोग से स्वदेशी जागरण मंच के तत्वाधान में 2 मार्च...
यूपी के कॉलेजों में शुरू होगा ऑनलाइन उद्यमिता कोर्स, प्रशिक्षण केंद्र पर ही इच्छुक युवाओं को मिलेगा लोन

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लखनऊ। "हर परिवार, एक रोजगार/स्वरोजगार" योगी सरकार-2 का संकल्प है। ऐसा तभी संभव है जब युवा खुद का उद्यम...
नौकरी की फिक्र छोड़ कारोबार पर दांव

नौकरी की फिक्र छोड़ कारोबार पर दांव

यकीन करना आसान नहीं हैं। ये तीसेक साल से कुछ ज्‍यादा के नौजवान हैं, जिन्‍होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्‍छी नौकरी हासिल भी की और फिर छोड़ भी दी। खुद का कारोबार शुरू किया और कामयाब भी हो गए। आज ये तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक हैं। मैंने पूछा मल्‍टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करते हुए असफलता का डर नहीं लगा? आर्थिक दिक्‍कतें नहीं आईं? जवाब देखिए, ज्‍यादा से ज्‍यादा क्‍या होता वापस नौकरी करनी पड़ती। इतनी पढ़ाई और काम करने के बाद इतना भराेसा तो था कि भूखे मरने वाले नहीं हैं। इसलिए ज्‍यादा फ्रिक नहीं हुई।
वर्ण व्यवस्था में व्यापारियों को तवज्जो नहीं: यशवंत सिन्हा

वर्ण व्यवस्था में व्यापारियों को तवज्जो नहीं: यशवंत सिन्हा

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि भारत में व्यापार की पुरानी और लंबी परंपरा रही है लेकिन हमारी वर्ण व्यवस्था में व्यापारियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। कल यहां एक संस्थान के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हड़प्पा काल से हम व्यापार कर रहे हैं, लेकिन हमारी वर्ण व्यवस्था में व्यापार करने वालों -वैश्यों को काफी नीचे रखा गया है। उन्हें शूद्रों से ठीक ऊपर तीसरे क्रम पर रखा गया है।
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