Advertisement
मैगजीन
27 अक्टूबर 2025 | Oct-27-2025

आवरण कथा /हिंदी रॉयल्टी: एक कलम दो बाजार

अपेक्षाकृत एक नए प्रकाशक ने विनोद कुमार शुक्ल के एक उपन्यास की महज छह महीने की बिक्री से तीस लाख रुपये रॉयल्टी देकर नई बहस छेड़ी, इससे लेखक-प्रकाशक संबंधों से लेकर हिंदी-अंग्रेजी की दुनिया के फर्क पर भी रोशनी पड़ी

आकांक्षा पारे काशिव

13 अक्टूबर 2025 | Oct-13-2025

आवरण कथा/युवा विद्रोह: तख्तापलट का जवां तेवर

ताजा-ताजा नेपाल और इसके पहले के वर्षों में बांग्लादेश और श्रीलंका में समूचे सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ नवयुवा वर्ग या जेन जी में बगावत और उसमें सोशल मीडिया की महती भूमिका आंदोलनों की नई बानगी पेश कर रही है और नई सियासी बहस का आधार बनी

हरिमोहन मिश्र

29 सितंबर 2025 | Sep-29-2025

आवरण कथा/बाढ़ः ढहते पहाड़, जलमग्न धरती

बादल फटने और तेज बारिश ने पहाडों से लेकर मैदानी इलाकों तक ऐसी तबाही मचाई, जिससे प्रलय के नजारे साकार हो उठे, उससे भी बड़ी आशंका अंधाधुंध विकास को लेकर खड़े हुए

राजीव नयन चतुर्वेदी

15 सितंबर 2025 | Sep-15-2025

आवरण कथा/चीन-रूस-भारत: नई धुरी की ताकतवर तिकड़ी

ट्रम्प की टैरिफ धौंस-पट्टी और दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को मुट्ठी में करने की चाहत से दुनिया सामुद्रिक काल-चक्र की तरह फिर पुराने दो-ध्रुवीय दौर में दाखिल होने की कगार पर, लिहाजा चीन के शंघाई में शी जिनपिंग, पुतिन और नरेंद्र मोदी की मुलाकात अहम

हरिमोहन मिश्र

1 सितंबर 2025 | Sep-01-2025

50 वर्ष मील के पत्थर/आवरण कथा: 1975 के रजत पटल

पचास साल बाद 1975 की मील के पत्थर जैसी घटनाओं को इस नजरिए से याद करें कि उसने क्या कुछ बदला और उससे हम क्या सबक लें

हरिमोहन मिश्र

18 अगस्त 2025 | Aug-18-2025

आवरण कथा/बिहार: पेचीदा चुनाव की पेशकदमी

अचानक विधानसभा चुनावों के पहले राज्य में नए मुद्दे और समीकरण उभरे, बढ़ती हिंसा और नई वोटर लिस्ट बनाने की कवायद से हालात उलझे, क्या है संभावना और क्या हैं आशंकाएं

हरिमोहन मिश्र

4 अगस्त 2025 | Aug-04-2025

आवरण कथा/एंटी एजिंग: सदाबहार जवानी की ख्वाहिशें

उम्र को धोखा देकर किशोरवय उम्र जैसी चमक और मौज-मस्ती की ऊफान लेती चाहत से ब्यूटी ब्रांड, ट्रीटमेंट बाजार की चांदी, मगर अब यह जुनून असमय मौत का बुलावा बनने लगी

राजीव नयन चतुर्वेदी

21 जुलाई 2025 | Jul-21-2025

आवरण कथा/ट्रम्प नीतिः मैं, मध्यस्थ!

अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी अहमियत जताने और हर देश के साथ नए रिश्ते बनाने के खातिर कहीं लड़ाई रुकवा रहे तो किसी से सौदा पटा रहे हैं और दुनिया को कई ध्रुवों में बांट रहे है, क्या है नजारा

हरिमोहन मिश्र

Advertisement
Advertisement
Advertisement