असमानताएं सामाजिक असंतोष को पैदा करती हैं और ऐसे नेताओं को जन्म देती हैं जो बदले में असमानताओं को बढ़ाते हैं, ट्रम्प का उदय इस ऐतिहासिक सामाजिक प्रक्रिया का कोई अपवाद नहीं, उनसे भारत कैसे निपटेगा यह अनिश्चित
आर्थिक उदारीकरण के पिछले तीन दशक के दौरान भारतीय राजनीति का चरित्र कुछ ऐसा बदला है कि धन, सार्वजनिक आचरण से लेकर नेताओं का चरित्र तक सब कुछ महज कुर्सी के इर्द-गिर्द सिमट गया है और दलों का फर्क मिट गया है
कारोबारी माहौल, उत्पादन क्षेत्र की मंदी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मुनाफे पर कंपनियों का जोर आइआइटी के छात्रों को न सिर्फ बेरोजगार कर रहा है, उनकी जान भी ले रहा