तारीख बदलती है, शहर या राज्य बदलता है, बस बढ़ती जाती है क्रूरता और जघन्यता, बलात्कार के बाद सजा में देरी ऐसे मामलों की संख्या में लगातार इजाफा ही कर रही
संविधान मानवीय विचारों से भरापूरा है। उसमें न्यायोचित अधिकारों का विस्तार किया जा सकता है, मगर उसे बेमानी बनाने, बदल डालने की कोशिशें प्रगतिशील नहीं हो सकतीं
अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने के पांच साल पूरे, छह साल से असेंबली भंग और जम्मू आतंकवाद का नया ठिकाना बना, पुनर्गठन कानून में फेरबदल से विधायिका हुई पंगु, चुनावों का इंतजार
जिस देश में क्रिकेट का नशा धर्म से कम नहीं है, वहां के दो आला खिलाड़ियों का तुरंता फॉर्मेट टी-20 से संन्यास ले लेना खेलप्रेमियों के लिए सदमे से कम नहीं, सबके मन में एक ही सवाल- कौन थामेगा जिम्मेदारी?
इस देश में सरकारी परीक्षाओं के परचे लीक होते-होते अब संसद में बहस और सड़कों पर आंदोलन का बायस बन चुके हैं, सवाल व्यवस्था परिवर्तन तक आ चुका है, केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी पर जवाबदेही और संघीयता की भावना को धता बताने के सवाल उठे
अपने समूचे राजनीतिक करियर के दौरान नरेंद्र मोदी एकतरफा बहुमत की सरकारें चलाने के आदी रहे हैं, ऐसे में गठबंधन की सरकार की राह उनके लिए कई चुनौतियां लेकर आई है, तिस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भौंह तनी हुई दिखती है, तो विपक्ष पहले से कहीं ज्यादा मजबूत
आम चुनाव 2024 ने अठारहवीं लोकसभा की तस्वीर बदली, हर राज्य ने अपने मुद्दे तय किए और सभी राजनैतिक पार्टियों को अलग संदेश दिए, किसी एक को बहुमत के बदले गठबंधन से संतुलन साधने पर जोर
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ ‘इंडिया’ के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा