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27 मई 2024 | May-27-2024

जनादेश ’24 आवरण कथा: करो या मरो के मैदान

आम चुनाव के अगले चरणों में सबसे ज्यादा सीटों वाले चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दल क्या भाजपा के अजेय कहे जाने वाले रथ को रोक कर सियासी हवा बदल पाएंगे?

हरिमोहन मिश्र

13 मई 2024 | May-13-2024

जनादेश ’24/आवरण कथा: चुनावी फासले

पिछले एक दशक में हुए चुनावों से पता चलता है कि उत्तर और दक्षिण के बीच सियासी दूरी बढ़ती जा रही है, मौजूदा आम चुनाव इस विभाजन की पुष्टि करते हैं

हरिमोहन मिश्र

29 अप्रैल 2024 | Apr-29-2024

जनादेश ’24 आवरण कथा: बहुमत छूने की बाजी

राजनैतिक पार्टियों और एनडीए तथा 'इंडिया' गठबंधनों के दावों के विपरीत इस बार लोकसभा चुनावों की जमीन अनिश्चित, सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन दोनों के लिए चुनाव में जीत सियासी वजूद बचाने का सवाल बना

हरिमोहन मिश्र

15 अप्रैल 2024 | Apr-15-2024

आवरण कथा/एआइ और चुनावः लोकतंत्र पर फेक का साया

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े और सबसे अहम चुनाव में सच के ऊपर झूठ का, असली के ऊपर नकली का साया मंडरा रहा, इस झूठ और फर्जीवाड़े को संभव बनाती है एआइ और डीपफेक की तेज विकसित होती तकनीक और कई टेक्नोलॉजी कंपनियां, क्या हैं खतरे

राजीव नयन चतुर्वेदी

1 अप्रैल 2024 | Apr-01-2024

आवरण कथा/बॉलीवुडः तूफानी वापसी

कोविड महामारी के बाद दर्शक थिएटरों में लौटे तो रोमांस, मारधाड़, ऐक्शन का मसाला और बड़े सितारों का जलवा लुभाने लगा, जवान, एनिमल, पठान और गदर 2 की कामयाबी क्या बताती है, क्या कंटेंट प्रधान फिल्मों का दौर फिर पिछड़ गया

स्वाति बक्शी

18 मार्च 2023 | Mar-18-2024

आवरण कथा/चुनावी बॉन्ड: बॉन्डनामा

राजनैतिक फंडिंग की मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से असंवैधानिक करार दिया, तो क्या तकरीबन छह साल से जारी योजना से राजनीति के रंगढंग में आए बदलावों को बदला जा सकेगा?, क्या चुनाव निष्पक्ष और परदर्शी हो पाएंगे?, क्या काले धन की पॉलिटिकल इकोनॉमी से मुक्ति मिल पाएगी?

हरिमोहन मिश्र

04 मार्च 2024 | Mar-04-2024

आवरण कथा: तालीम के सिपाही

देश के पिछड़े राज्यों में बदहाल शिक्षा तंत्र के मारे छात्र-छात्राओं की जरूरत को पूरा कर रहे हैं सेवारत और अवकाशप्राप्त सिपाही, दारोगा और अफसर

राजीव नयन चतुर्वेदी और संजय उपाध्याय

19 फरवरी 2024 | Feb-19-2024

आवरण कथा/बिहार: नीतीश का पंछी मन

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार का एक बार फिर लालू प्रसाद की राजद को छोड़ जाना और वापस एनडीए में आना उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचायक माना जाए या कुर्सी के लिए वैचारिक अवसरवाद का ऐतिहासिक प्रदर्शन?

गिरिधर झा

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