Advertisement
मैगजीन
28 अक्टूबर 2024 | Oct-28-2024

आवरण कथा/कुर्सी पुराणः कुर्सी महा ठगिनी हम जानी

आर्थिक उदारीकरण के पिछले तीन दशक के दौरान भारतीय राजनीति का चरित्र कुछ ऐसा बदला है कि धन, सार्वजनिक आचरण से लेकर नेताओं का चरित्र तक सब कुछ महज कुर्सी के इर्द-गिर्द सिमट गया है और दलों का फर्क मिट गया है

हरिमोहन मिश्र

14 अक्टूबर 2024 | Oct-14-2024

आवरण कथा/आइआइटी प्लेसमेंट: फूटा पैकेज का गुब्बारा

कारोबारी माहौल, उत्पादन क्षेत्र की मंदी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मुनाफे पर कंपनियों का जोर आइआइटी के छात्रों को न सिर्फ बेरोजगार कर रहा है, उनकी जान भी ले रहा

राजीव नयन चतुर्वेदी

30 सितंबर 2024 | Sep-30-2024

आवरण कथा/ओटीटी स्टारडम: ग्लोबल मंच के लोकल सितारे

सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले

स्वाति बक्शी

16 सितंबर 2024 | Sep-16-2024

आवरण कथा/यौन उत्पीड़नः यौन हिंसा की कुकथा

तारीख बदलती है, शहर या राज्य बदलता है, बस बढ़ती जाती है क्रूरता और जघन्यता, बलात्कार के बाद सजा में देरी ऐसे मामलों की संख्या में लगातार इजाफा ही कर रही

हरिमोहन मिश्र

2 सितंबर 2024 | Sep-02-2024

संविधान / 75 सालः संविधान गया, तो लोकतंत्र नहीं बचेगा

संविधान मानवीय विचारों से भरापूरा है। उसमें न्यायोचित अधिकारों का विस्तार किया जा सकता है, मगर उसे बेमानी बनाने, बदल डालने की कोशिशें प्रगतिशील नहीं हो सकतीं

प्रोफेसर राजीव भार्गव

19 अगस्त 2024 | Aug-19-2024

आवरण कथा/जम्मू-कश्मीरः कश्मीर सूरते हाल

अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने के पांच साल पूरे, छह साल से असेंबली भंग और जम्मू आतंकवाद का नया ठिकाना बना, पुनर्गठन कानून में फेरबदल से विधायिका हुई पंगु, चुनावों का इंतजार

श्रीनगर से नसीर गनई

5 अगस्त 2024 | Aug-05-2024

आवरण कथा/क्रिकेटः रो-को के बाद कौन?

जिस देश में क्रिकेट का नशा धर्म से कम नहीं है, वहां के दो आला खिलाड़ियों का तुरंता फॉर्मेट टी-20 से संन्यास ले लेना खेलप्रेमियों के लिए सदमे से कम नहीं, सबके मन में एक ही सवाल- कौन थामेगा जिम्मेदारी?

मंथन रस्तोगी

22 जुलाई 2024 | Jul-24-2024

आवरण कथा/परीक्षा घोटालेः धांधली ‘मॉडल’

इस देश में सरकारी परीक्षाओं के परचे लीक होते-होते अब संसद में बहस और सड़कों पर आंदोलन का बायस बन चुके हैं, सवाल व्यवस्था परिवर्तन तक आ चुका है, केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी पर जवाबदेही और संघीयता की भावना को धता बताने के सवाल उठे

हरिमोहन मिश्र

Advertisement
Advertisement
Advertisement