बिहार में पहले चरण के मतदान तक यह साफ हो चला है कि रोजगार, नौकरी, पलायन, महंगाई, पढ़ाई और इलाज की बेहतर व्यवस्था ही वोटरों के दिमाग में, बाकी सारे मुद्दे और पुराने सियासी समीकरण हुए पीछे
क्या युवा मतदाता बिहार के राजनैतिक व्याकरण को नए सिरे से लिखेंगे या विधानसभा चुनाव में पुरानी परिपाटी ही चलेगी? इसी सवाल से तय होगा इस बार बदलाव कैसा होना है
क्रिकेट में हमारी ‘छोरियों’ ने उतनी ही बड़ी लकीर खींच दी है, जैसी हमारे ‘छोरों’ ने 1983 में खींची थी। आज जरूरत है कि खेलों में महिलाओं और पुरुषों में हर मायने में समानता हो, चाहे प्राइज मनी का सवाल हो या कॉर्पोरेट स्पांसरशिप का